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56. जीवो पाणणिबद्धो बद्धो मोहादिएहिं कम्मेहिं।
उवभुंजदि कम्मफलं बज्झदि अण्णेहिं कम्मेहिं।।
जीवो
जीव
पाणणिबद्धो
बद्धो
मोहादिएहिं
(जीव) 1/1 [(पाण)-(णिबद्ध) प्राणों से युक्त भूकृ 1/1 अनि] (बद्ध) भूकृ 1/1 अनि बंधा हुआ [(मोह)+(आदिएहिं)] [(मोह)-(आदिअ) 3/2] मोहनीय और अन्य 'अ' स्वार्थिक . (कम्म) 3/2
कर्मों से (उवभुंज) व 3/1 सक भोगता है [(कम्म)-(फल) 2/1] कर्मफल को (बज्झदि) व कर्म 3/1 अनि बाँधा जाता है (अण्ण) 3/2 सवि अन्यों से (कम्म) 3/2
कम्मेहिं उवभुंजदि कम्मफलं . बज्झदि अण्णेहिं कम्मेहिं
कर्मों से
- अन्वय- मोहादिएहिं कम्मेहिं बद्धो जीवो पाणणिबद्धो कम्मफलं उवभुंजदि अण्णेहिं कम्मेहिं बज्झदि।
अर्थ- मोहनीय और अन्य कर्मों से बंधा हुआ जीव प्राणों से युक्त (होता है), (और) कर्मफल को भोगता है। (तथा) अन्य कर्मों से बाँधा जाता है।
प्रवचनसार (खण्ड-2)
(71) .
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