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53. सपदेसेहिं समग्गो लोगो अडेहिं णिट्ठिदो णिच्चो।
जो तं जाणदि जीवो पाणचदुक्केण संबद्धो॥
लोक
सपदेसेहिं समग्गो लोगो अटेहिं णिट्ठिदो णिच्चो .
(स-पदेस) 3/2 वि अपने प्रदेशों-सहित (समग्ग) 1/1 वि समस्त (लोग) 1/1 (अट्ठ) 3/2
पदार्थों से (णिट्ठिद) भूकृ 1/1 अनि । पूर्ण किया हुआ (णिच्च) 1/1 वि शाश्वत (ज) 1/1 सवि
जो (त) 2/1 सवि उसको (जाण) व 3/1 सक जानता है (जीव) 1/1 [(पाण)-(चदुक्क) 3/1 वि] चार प्राणों से (संबद्ध) भूकृ 1/1 अनि युक्त
जीव
जाणदि जीवो पाणचदुक्केण संबद्धो
अन्वय- सपदेसेहिं अट्ठेहिं णिट्ठिदो समग्गो लोगो णिच्चो तं जो जाणदि जीवो पाणचदुक्केण संबद्धो।
अर्थ- अपने प्रदेशों-सहित पदार्थों (द्रव्यों) से पूर्ण किया हुआ समस्त लोक शाश्वत (है)। उस (लोक) को जो जानता (है) (वह) जीवद्रव्य (है)। (संसार अवस्था में) (वह) (जीवद्रव्य) चार प्राणों से युक्त (होता है)।
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प्रवचनसार (खण्ड-2)
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