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51. एगम्हि संति समये संभवठिदिणाससण्णिदा अट्ठा।
समयस्स सव्वकालं एस हि कालाणुसब्भावो।।
एक
समय में
एगम्हि (एग) 7/1 वि . संति (संति) व 3/2 अक अनि होते हैं समये (समय) 7/1 संभवठिदिणास- [(संभव)-(ठिदि)-(णास)- उत्पत्ति, स्थिंति, नाश सण्णिदा (सण्णिद) 1/2 वि] नामक अझ
(अट्ठ) 1/2 (समय) 6/1
काल के सव्वकालं [(सव्व) सवि-(काल) 2/1] सबकाल में :
(एत) 1/1 सवि , यह अव्यय
ही कालाणुसब्भावो [(कालाणु)-(सब्भाव) 1/1] कालाणु का अस्तित्व
आशय
समयस्स
अन्वय- एगम्हि समये समयस्स संभवठिदिणाससण्णिदा अट्ठा संति एस हि कालाणुसब्भावो सव्वकालं।
अर्थ- एक समय में काल (द्रव्य) के उत्पत्ति (उत्पाद), स्थिति (ध्रौव्य), नाश (व्यय) नामक आशय (सदा) होते हैं। यह (उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य) ही (बताता है कि) कालाणु का अस्तित्व सबकाल में (रहता है)।
1.
कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम-प्राकृत-व्याकरणः 3-137) 'काल' एक प्रदेशी माना गया है, इसलिये इसे 'कालाणु' कहा गया है।
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प्रवचनसार (खण्ड-2)
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