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23. अत्थि त्ति य णत्थि त्ति य हवदि अवत्तव्वमिदि पुणो दव्वं।
पज्जायेण दु केण वि तदुभयमादिट्ठमण्णं वा।।
अत्थि त्ति
णत्थि त्ति
नास्ति
[(अत्थि)+ (इति)] अत्थि (अ) = अस्ति अस्ति इति (अ) = ही
ही अव्यय
और [(णत्थि)+ (इति)] णत्थि (अ) = नास्ति इति (अ) = ही अव्यय
और (हव) व 3/1 अक होता है [(अवत्तव्वं)+ (इदि)] अवत्तव्वं (अवत्तव्व) 1/1 वि अवक्तव्य इदि (अ) = ही अव्यय (दव्व) 1/1
द्रव्य (पज्जाय) 3/1
प्रकार से
हवदि
अवत्तव्वमिदि.
और
पुणो दव्वं पज्जायेण
अव्यय
केण
(क) 3/1 सवि
किसी
अव्यय
तदुभयमादिट्ठमण्णं
[(तदुभयं)+(आदि8)+(अण्णं)] तदुभयं (तदुभयं)1/1 सवि अनि वह दोनों आदिडं (आदिट्ठ)भूकृ 1/1 अनि कहा गया अण्णं (अण्ण) 1/1 सवि अन्य अव्यय
तथा
वा
...
प्रवचनसार (खण्ड-2)
(37)
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