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78.
ते
to
עב
कम्मत्तगदा
पोगलकाया
पुणो
वि
जीवस्स
संजायते
ते ते कम्मत्तगदा पोग्गलकाया पुणो वि जीवस्स ।
संजायते
देहा
देहंतरसंकमं
पप्पा ।।
देहा
देहतर संकमं
पप्पा
1.
(त) 1/2 सवि
(त) 1/2 सवि
[ ( कम्मत्त) - ( गद) भूक
1/2 अनि]
[ ( पोग्गल ) - (काय) 1 / 2]
अव्यय
प्रवचनसार (खण्ड-2)
अव्यय
(जीव ) 4 / 1
(संजाय) व 3 / 2 अक
(देह) 1/2
[(देह)-(अंतर) वि-(संकम)
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2/1]
(पप्प) भूकृ 1/2 अनि
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वे
अन्वय- ते ते पोग्गलकाया कम्मत्तंगदा वि पुणो जीवस्स देहंतरसंकमं पप्पा देहा संजायते ।
वे
अर्थ - (पूर्व में कहे हुए) वे वे पुद्गलों के समूह / स्कन्ध (जो ) कर्मत्व भाव में ही परिवर्तित हुए (हैं) (उनसे) फिर जीव के लिए अन्य देह के लिए गमन होने पर अर्जित देह उत्पन्न होती हैं।
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कर्मत्व भाव में परिवर्तित हुए
पुद्गलों के समूह / स्कन्ध
फिर
ही
जीव के लिए
उत्पन्न होती हैं
देह
अन्य देह के लिए
गमन होने पर
अर्जित
कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। ( हेम-प्राकृत - व्याकरणः 3 - 137 )
(93)
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