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24.
णाणप्पमाणमादा
ण
हवदि
जस्सेह
तस्स
सो
आदा
हीणो
वा
अहिओ
वा
णाणादो
हवदि
णाणप्पमाणमादा ण हवदि जस्सेह तस्स सो आदा । हीणो वा अहिओ वा णाणादो हवदि धुवमेव ।।
धुवमेव
[( णाणप्पमाणं) + (आदा ) ]
[ ( णाण) - ( प्पमाण) 1 / 1]
आदा (आद) 1/1
अव्यय
( हव) व 3 / 1 अक
[ (जस्स) + (इह ) ]
जस्स (ज) 6 / 1 सवि
इह (अ) = इस लोक में
(त) 6/1 सवि
(त) 1 / 1 सवि
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(आद) 1/1
(हीण ) 1 / 1 वि
अव्यय
( अहिअ) 1 / 1 वि
अव्यय
( णाण ) 5 / 1
( हव) व 3 / 1 अक
[(धुवं) + (एव)]
धुवं (अ) एव (अ)
= अवश्य
=
ही
ज्ञान -प्रमाण
आत्मा
नहीं
होता है
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जिसके
इस लोक में
उसके
वह
आत्मा
कम
अथवा
अधिक
पादपूरक
ज्ञान से
होता है
अन्वय- इह जस्स आदा णाणप्पमाणं ण हवदि तस्स सो आदा धुवमेव णाणादो हीणो वा अहिओ वा हवदि ।
अर्थ - इस लोक मे जिसके ( मत में) आत्मा ज्ञान- प्रमाण नहीं होता है उसके (मत में) वह आत्मा अवश्य ही ज्ञान से कम अथवा अधिक होता है ।
(36)
प्रवचनसार ( खण्ड - 1 )
अवश्य
ही
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