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23.
आदा
णाणपमाणं
णणं
णेयप्पमाणमुद्दिट्ठ
यं
बै.
लोयालो
तम्हा
णणं
आदा णाणपमाणं गाणं णेयप्पमाणमुद्दिनं ।
यं लोयालोयं
तम्हा णाणं तु सव्वगयं ।।
तु
सव्वगयं
(आद) 1 / 1
[ ( णाण) - ( पमाण) 1 / 1]
( णाण) 1 / 1
[(णेयप्पमाणं) + (उद्दिट्ठ)]
[(णेय) विधिकृ अनि
प्रवचनसार (खण्ड- 1 -1)
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( प्पमाण) 1 / 1 ]
उद्दिट्ठे (उद्दिट्ठ) भूकृ 1/1 अनि
(णेय) विधि 1/1 अनि
[(लोय) + (अलोयं)]
[ ( लोय) - ( अलोय) 1 / 1]
'अव्यय
( णाण) 1 / 1
अव्यय
(सव्वगय) 1/1 वि
आत्मा
ज्ञान प्रमाण
ज्ञान
ज्ञेय प्रमाण
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कहा गया
जानने योग्य
अन्वय- आदा णाणपमाणं णाणं णेयप्पमाणमुद्दिट्टं णेयं लोयालोयं
लोक और अलोक
इसलिए
तम्हा णाणं तु सव्वगयं ।
अर्थ- आत्मा ज्ञान प्रमाण ( है ) । ज्ञान ज्ञेय प्रमाण कहा गया ( है ) | ( ज्ञान से) जानने योग्य लोक और अलोक (है) इसलिए ज्ञान निश्चय ही सर्वव्यापक (है)।
ज्ञान
निश्चय ही
सर्वव्यापक
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