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अर्थ- यदि आत्मा वीतराग चारित्र से रूपान्तरित (होता है) (तो ) (वह) शुद्ध (क्रियाओं) के संयोग से युक्त आत्मा मोक्ष सुख को पाता है। यदि
आत्मा सराग चारित्र से रूपान्तरित (होता है) (तो ) (वह) शुभ (क्रियाओं) में संलग्न आत्मा स्वर्ग सुख को पाता है।
प्रवचनसार (खण्ड-1)
(23)
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