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. 11. धम्मेण परिणदप्पा अप्पा जदि सुद्धसंपयोगजुदो।
पावदि णिव्वाणसुहं सुहोवजुत्तो व सग्गसुहं।।।
धम्मेण
(धम्म) 3/1
स्वभाव से (वीतराग चारित्र से) (सराग चारित्र से)
परिणदप्पा
'परिवर्तित/रूपान्तरित
आत्मा
आत्मा
अप्पा जदि सुद्धसंपयोगजुदो
[(परिणद)+ (अप्पा)] [(परिणद) भूक अनि- (अप्प) 1/1] (अप्प) 1/1 . . अव्यय [(सुद्ध) वि-(संपयोग)(जुद) भूकृ 1/1 अनि] (पाव) व 3/1 सक [(णिव्वाण)-(सुह) 2/1] [(सुह) वि-(उवजुत्त) भूक 1/1 अनि]
पावदि णिव्वाणसुहं सुहोवजुत्तो
यदि .. .. शुद्ध (क्रियाओं) के संयोग से युक्त प्राप्त करता है मोक्ष सुख को शुभ (क्रियाओं) में संलग्न
अव्यय
तथा
सग्गसुहं
[(सग्ग)-(सुह) 2/1]
स्वर्ग सुख को
अन्वय- अप्पा धम्मेण परिणद जदि अप्पा सुद्धसंपयोगजुदो णिव्वाणसुहं पावदि व सुहोवजुत्तो सग्गसुहं।
___ अर्थ- (यह सच है कि) आत्मा स्वभाव से परिवर्तित/रूपान्तरित (होता है)। यदि (वह) आत्मा शुद्ध (क्रियाओं) के संयोग से युक्त (होता है) (तो) मोक्ष सुख को प्राप्त करता है तथा (यदि वह) शुभ (क्रियाओं) में संलग्न (होता है) (तो) स्वर्ग सुख को (प्राप्त करता है)।
(22)
प्रवचनसार (खण्ड-1)
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