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10. णस्थि विणा परिणामं अत्थो अत्थं विणेह परिणामो।
दव्वगुणपज्जयत्थो अत्थो अत्थित्तणिव्वत्तो।।
णत्थि
नहीं
विणा
बिना परिवर्तन के
पदार्थ
पदार्थ के
[(ण)+ (अत्थि )] ण (अ) = नहीं अत्थि (अ) = है
अव्यय परिणाम (परिणाम) 2/1 अत्थो
(अत्थ) 1/1 अत्थं
(अत्थ) 2/1 विणेह [(विणा)+ (इह)]
विणा (अ) = बिना
इह (अ) = इस लोक में परिणामो
(परिणाम) 1/1 दव्वगुणपज्जयत्थो [(दव्व) -(गुण)
(पज्जायत्थ-पज्जयत्थ)
1/1 वि] अत्थो (अत्थ) 1/1 अत्थित्तणिव्वत्तो [(अत्थित्त)-(णिव्वत्त)
भूकृ 1/1 अनि]
बिना इस लोक में परिवर्तन द्रव्य-गुण-पर्याय में स्थित रहनेवाला
पदार्थ अस्तित्व/सत्त्व से बना हुआ
.
अर
अन्वय- इह अत्थो परिणामो विणा णत्थि परिणामं अत्थं विणा अत्थो दव्वगुणपज्जयत्थो अत्थित्तणिव्वत्तो।
.. अर्थ- इस लोक में पदार्थ परिवर्तन के बिना नहीं है, परिवर्तन पदार्थ के बिना (नहीं है)। (इसलिए) पदार्थ द्रव्य-गुण-पर्याय (परिवर्तन) में स्थित/ रहनेवाला होता है। (और) (वह) (पदार्थ) अस्तित्व/सत्त्व से बना हुआ (कहा गया है) अर्थात् (अस्तित्ववान है) (अतः सत्- द्रव्य-गुण-पर्यायमय होता है)।
1. 2.
'बिना' के साथ द्वितीया, तृतीया तथा पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है। यहाँ छन्द की मात्रा की पूर्ति हेतु ‘पज्जायत्थ' के स्थान पर ‘पज्जयत्थ' किया गया है।
प्रवचनसार (खण्ड-1)
(21)
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