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स्थापना के सम्बन्ध में नाथूराम प्रेमी लिखते हैं कि इसके विधाता भी एक भट्टारकजी.थे जिनका नाम महेन्द्रकीर्ति था और जो इन्दौर की गद्दी के अधिकारी थे। उन्होंने औंकारेश्वर के राजा को प्रसन्न करके जमीन प्राप्त की और संवत् 1950 के लगभग इस क्षेत्र की नींव डाली। किन्तु परमानंद जैनशास्त्री का कथन है कि प्राचीन मंदिर जीर्ण हो जाने से से. 1951 माघ बदि 15 को जीर्णोद्धार करवाया गया। तीनों मंदिरों में सम्भवनाथ, चन्द्रप्रेभ और पार्श्वनाथ की प्रतिमाएं मूलनायक के रूप में विराजमान है। सिद्धवरकूट प्राचीन स्थल कहां था यह अभी विचारणीय है पर सिद्धवरकूट नाम का एक तीर्थ नर्मदा के किनारे पर अवश्य था। यह वही है इसे प्राचीन प्रमाणों से सिद्ध करने की आवश्यकता है। वर्तमान क्षेत्र का प्राचीन क्षेत्र से क्या कुछ सम्बन्ध रहा है?
(22) मक्सी पार्श्वनाथ : मक्सी, भोपाल उज्जैन रेलवे लाईन पर स्थित है तथा भोपाल से 89 मील और उज्जैन से 25 मील की दूरी पर है। मक्सी ग्राम से एक मील की दूरी पर कल्याणपुरा ग्राम में दो जैन मंदिर है, धर्मशालाएं हैं। मंदिर के आसपास छोटे-छोटे 52 जिनालय हैं। यह अतिशय क्षेत्र है। इस मंदिर के निर्माण के सम्बन्ध में अनुमान है कि सम्प्रति राजा व अवन्ति सुकुमाल जो वीर संवत 290 और विक्रम संवत से 180 वर्ष पूर्व अवंति नगरी का हुआ है और उनको आचार्य सहस्तिसरिजी ने जो कि श्री वीरप्रभु के ग्यारहवें तत्पट्टे हए हैं, प्रतिबोध देकर जैनधर्म का बहुत उद्योत किया व मक्सी तीर्थ का जीर्णोद्धार व मंदिर बनवाया। किन्तु मक्सी तीर्थ के निर्माण को इतना प्राचीन बताना धार्मिक भावुकता है। मांडवगढ़ के मंत्री संग्रामसिंह ने 1518 के साल में एक श्वेताम्बर जैनमूर्ति की प्रतिष्ठा कराई है, उसके पृष्ठ भाग में सग्राम के पूर्वजों की वंशावली दी गई है। उपर्युक्त लेखों को देखने से. यह निर्विवाद सिद्ध होता है कि यह संग्रामसिंह सोनी मक्सी पार्श्वनाथ के मंदिर का निर्माणकर्ता है और यहां सं.1518 जैठ शुक्ल 15 गुरुवार को मक्सी मंदिर के मूर्ति प्रतिष्ठा का दिन है। इस प्रकार मक्सी के मंदिर का निर्माणकाल स्वतः प्रमाणित हो जाता है। अतः पूर्व में जो निर्माणकाल बताया गया है वह सही प्रतीत नहीं होता। वास्तव में यह तीर्थ 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ही स्थापित हआ प्रतीत होता है। क्योंकि संग्रामसिंह सोनी ने जैनधर्म के लिये पर्याप्त परिश्रम किया है तथा अन्य अनेक निर्माण कार्य भी करवाये हैं।
(23) परासली : यह ग्राम नागदा मथुरा रेलवे स्टेशन के मध्य सुवासरा रेलवे स्टेशन के पास ही स्थित है। यहां प्राचीन जैन मंदिर की धातु की पंच तीर्थी पर निम्नानुसार लेख उत्कीर्ण है। [104
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