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परिशिष्ट - 'क' • २३७ इय सुव्वयमाहह नाणसणाहह, जिणपहुसूरिहिं संथविय । पंच वि कल्लाणाई सुक्खनिहाणाई, कल्लाणगु देयउ भविय ।।१३।।
२. श्रीपार्श्वनाथजन्माभिषेकः ॥ जय जय जगनायग सिवसुहदायग पास पयासियपरमपय । तिहुयणसिरसेहर करुणाकुलहर पावियअंतरवइरिजय ॥१॥ जय पाणयकप्पविमाणचूय, जय उत्तम तिहिं नाणेहिं जूय । महु कसिण चउत्थि वाणारसीए, नयरीए अवयरिउ सुहास्सीए ॥२॥ सिरिआससेणरायाहिराय-वम्मादेविराणीउरि जाय। पोसकसिणदसमीए जाउ, तिहुयण तारेउं वीयराउ ॥३॥ छप्पन्निहिं दिसाकुमारियाहिं, कीउ सूइकम्मु हियारियाहिं । देविदिहिं मन्दरगिरिसिरम्मि, किउ जम्मु महूसवु तुज्झ रंमि ॥४॥ नवहत्थमाण घणनीलवन्नु, वच्छरिउ दाणु देविणु सुवन्नु । पहु पोसकसिण इगारसिम्मि, ठाविउ मणु विहरइ संजमम्मि ॥५॥ अह चेत्तहकसिणे चउत्थि नाणु, उप्पाडइ सामिउ अइपमाणु । तुह देविहिं विरइउ समवसरणु, तं पास सामि तियलोयसरणु ॥६॥ तं सामिय सिवपुरसत्थवाहु, दस गणधर सोलसहस साहु । अडतीस सहस समणीण नाह, तुह हूया सावग गुणसणाह ॥७॥ चउंसट्ठिसहस अनु एगलक्खु, सत्तावीस सहस तिगलक्ख पक्खु । सड्ढीण एव कीउ चउसंघु, लंघिउ भवसायरु तुहु दुलंघु ॥८॥ सम्मेयगिरिम्मि जगपवित्तु, सावणसुद्धट्ठमि सिद्धि पत्तु । तुह नामि सामि उवसग्गु जंति, वीओग-सोग नहु रोग हुंति ॥९॥ जे पत्थेइं पूयइं भत्तिमंत, ते पावइ सिवसुह सत्तवंत । तिहुयणचिंतामणि पासनाह, मह देसु मोक्ख आरोहवाह ॥१०॥ इय पत्तग्गुह हयउवसग्गुह, पासजिणिदह थवणु किउ। जिणपहु पय लग्गुह भव उव्विग्गुह, भवि भवि तं पहु लहइ जिउ ॥११॥
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