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• 92 बौद्ध धर्म-दर्शन, संस्कृति और कला
यदा-कदा कई स्त्रियों के अपने पति के साथ युद्ध भूमि में जाने के वर्णन भी ऋग्वेद में मिलते हैं।
उत्तरवैदिक काल में सामवेद, यजुर्वेद तथा अथर्ववेद के अतिरिक्त संहिता, ब्राह्मण आरण्यक, उपनिषद् प्रभृति विपुल साहित्य की रचना हुई। इस प्रकार इस काल की सीमा अत्यन्त विस्तृत है । समाज विभिन्न क्षेत्रों में विकास की श्रृंखलाएँ पार करता हुआ आगे बढ़ता गया। नारी की स्थिति में भी उत्तर वैदिककाल में अनेक प्रकार के परिवर्तन देखने को मिले।
स्त्री को सामाजिक स्तर पर मिले अधिकार धीरे-धीरे कम होते गए। उसे यज्ञ अधिकार से वंचित किया जाने लगा । यज्ञोपवीत से भी वंचित किए जाने से वह. शूद्र-तुल्य समझी जाने लगी। नारी पर सतीत्व का दायित्व डालने तथा पुरुष को पुनर्विवाह का अधिकार मिल जाने से नारी की स्थिति और भी हीन हो गई । वस्तुतः इसके पीछे पुरुष का अहं भाव सक्रिय था । वह नारी को अपनी सम्पत्ति समझने लगा, जिससे इस भ्रान्त धारणा को प्रश्रय मिला कि पुरुष के चरित्रहीन होने पर मात्र वही बदनाम होता है, किन्तु स्त्री के सतीत्व से च्युत होने पर उसका पति तथा पिता दोनों ही कलंकित होते हैं। इस अधिकारच्युति के कारण नारी का वेद अध्ययनक्रम अवरुद्ध हो गया और अध्ययनाभाव के कारण उसका बाल-विवाह भी आरम्भ हो गया । बहु विवाह एवं सती-प्रथा का प्रचलन धीरे-धीरे आरम्भ हो गया । कन्या का जन्म दुःख का कारण समझा जाने लगा। बहुपत्नी - विवाह की प्रथा भी प्रचलन में आ गई थी । बुद्धकालीन नारी
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बुद्धकाल तक आते-आते भारतवर्ष में ऋग्वेदकालीन सामाजिक सरलता बहुत पीछे छूट चुकी थी। सामाजिक संरचना में दुरूहता आ गई थी । नगरों के विकास के साथ-साथ नारी का एक नवीन रूप सामने आ रहा था और वह था - गणिका या वेश्या
का ।
प्राग्बुद्धकालीन भारतीय नारी की कथा ॠग्वेदकालीन समाज से आरम्भ होती है। आरम्भिक काल में सामाजिक स्तर पर पुरुषों के समान अधिकार की प्राप्ति करने वाली नारी बुद्धकाल तक आते-आते घर की चारदीवारों में सिमटकर शिशु उत्पादन की मशीन बन कर रह गई ।
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बुद्ध द्वारा 'नारी - कल्याण' के प्रति अपनाए गए दृष्टिकोण एवं किए गए कार्यों के आकलन के लिए इस प्रकार से एक ऐतिहासिक सर्वेक्षण आवश्यक है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि प्राग्बुद्धकालीन भारत में नारी की क्या स्थिति थी, बुद्धकाल तक
8. एन. एन. घोष - अर्ली हिस्ट्री ऑफ इण्डिया, द इण्डियन प्रेस प्रा. लि., इलाहाबाद 1960, पृ. 38
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