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आधुनिक परिप्रेक्ष्य में बौद्ध धर्म-दर्शन के कतिपय सिद्धान्तों की नवीन-व्याख्या
डॉ. दिलीप सक्सेना
Not see, only words and meanings but firstly look the intention and the context of the speaker or writer."
- कोटेशन-वेद - डॉ. दिलीप 1 महात्मा बुद्ध के पूरे धर्म और दर्शन का अभिप्राय और संदर्भ (intention or
context) कुछ शब्दों में कहना हो तो कह सकते हैं "दु:ख-निवृत्ति, प्रतिकार
एवं व्यवहारवाद।" 2 दीघनिकाय के अनुसार बुद्ध के समय 62 मिथ्यादृष्टि एवं छह दार्शनिक-मत
प्रचलित थे। 3 चूंकि इन छहों दार्शनिक मतों से भी दुःख की पूर्ण निवृत्ति नहीं हो रही थी अतः
बुद्ध की सान्दर्भिक बाध्यता स्वतः ही बनी कि इन छहों का प्रतिकार किया जाये। 4 ये छ: मत अवधारणात्मक (Conceptual) क्रम में वाद-प्रतिवाद एवं संवाद के __ रूप में निम्न क्रम में रखे जा सकते हैं :प्रतिपादित सिद्धान्त
बौद्ध सिद्धान्त के रूप में
प्रतिकार वाद उच्छेदवाद-अजित केशकम्बली माध्यमिक/क्षणिकवाद 2 प्रतिवाद शाश्वतवाद, अकृतवाद-प्रक्रुधकात्यायन अनित्यवाद 3 संवाद संशयवाद - संजय बेलट्ठिपुत्त प्रतीत्यसमुत्पादवाद/
निश्चितवाद 4 वाद । नियतिवाद या दैववाद - मक्खलि गोसाल
अनीश्वरवाद, अदेववाद
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