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________________ 46 * बौद्ध धर्म-दर्शन, संस्कृति और कला करते हैं और ईश्वरवादी, आत्मवादी, ब्रह्मवादी, परमात्मावादी धर्मों को 'धर्म' के नाम से सम्बोधित करते हैं। आधुनिक भारत के बौद्ध विद्वान ने धम्मानंद कोसम्बी ने भी बौद्धधम्म और अन्य भारतीय धर्मो में फर्क किया है। वे सभी भारतीय धर्मों को एक नहीं मानते हैं, उसी प्रकार आधुनिक भारत के बौद्ध विद्वान और भिक्खु डॉ. भदन्त आनन्द कौसल्यायन ने भी अपने 'बुद्धिज्म एण्ड अदर रिलिजन्स' नाम की प्रसिद्ध पुस्तक में बौद्धधम्म और अन्य भारतीय धर्मो में फर्क किया है, एक नहीं माना है। आधुनिक भारत में बौद्धधम्म और दर्शन पर बहुत लिखा गया है और बहुत लिखा जा रहा है। एक समय था जब भारत में बौद्ध साहित्य, पालि साहित्य उपलब्ध नहीं था, भारत से बौद्धधम्म और दर्शन की परम्परा खण्डित हो गई थी, लेकिन आज आधुनिक भारत में लोकतन्त्रवादी प्रजासत्ताकवादी भारत में बौद्धधम्म की पुनःस्थापना डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के द्वारा की गई। इसका स्पष्ट मतलब यह है कि बौद्धधम्म और दर्शन का संदर्भ भारत से अछूतपन, जातिभेद, जातिवाद की समाप्ति के साथ है, दलितों के उत्थान के साथ है। आज आधुनिक भारत में सम्पूर्ण पालि-तिपिटक के दो संस्करण उपलब्ध हैं - एक नवनालंदा महाविहार पालि तिपिटक है। दूसरा धम्मगिरि पालि ग्रन्थमाला, विपश्यना विशोधन विन्यास, इगतपुरी का पालि तिपिटक उपलब्ध है। पालि तिपिटक के अधिकतर ग्रन्थों का हिन्दी, अंग्रेजी, मराठी, बांग्ला आदि आधुनिक भारतीय भाषाओं में अनुवाद भी उपलब्ध हैं। इसके अलावा पालि ग्रन्थों पर, पालि साहित्य पर बहुत लिखा गया है और लिखा जा रहा है। आधुनिक भारत में बौद्धधम्म और दर्शन पर संशोधन भी हो रहा है और शोध पर किताबें एवं लेख लिखे जा रहे हैं, लेकिन बौद्धधम्म और दर्शन को अलौकिक, अभौतिक, आध्यात्मिक, लोकोत्तर धर्म के रूप में स्थापित करने का काम अधिकतर लेखकों ने किया है। कई लेखक विचारशील, दार्शनिक, चिंतक साहित्यकार बौद्धधम्म और दर्शन के सामाजिक संदेश को जानबूझकर नजरअंदाज करने का प्रयास करते हैं और इसकी वजह भी है, पालि साहित्य, बौद्धधम्म और दर्शन, बौद्ध संस्कृति, बौद्ध इतिहास आदि पर लेखन, शोध करने वाले लेखकों, संशोधकों, विचारशीलों, तत्त्वचिन्तकों पर हिंदूधर्म का, ईश्वरवाद का, आत्मवाद का प्रभाव होने के कारण वे बौद्धधम्म और दर्शन की ओर भी उसी दृष्टि से देखते हैं और प्रस्थापित, व्यवस्थावादी, जातिवादी समाजव्यवस्था के अनुकूल बौद्धधम्म और दर्शन की व्याख्या करते हैं, लेकिन यह बौद्धधम्म और दर्शन की सही व्याख्या नहीं है। बौद्धधम्म और दर्शन का अध्ययन बौद्ध दृष्टि से और वैज्ञानिक दृष्टि से होना चाहिए। बौद्धधम्म के प्रवर्तन का उद्देश्य बौद्धधम्म और दर्शन के प्रवर्तक तथागत भगवान बुद्ध हैं। वे तत्कालीन भारतीय समाज में ही पैदा हुए थे। आज लुम्बिनी जो भगवान बुद्ध की जन्मस्थली है, नेपाल में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004152
Book TitleBauddh Dharm Darshan Sanskruti aur Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain, Shweta Jain
PublisherBauddh Adhyayan Kendra
Publication Year2013
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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