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168 बौद्ध धर्म-दर्शन, संस्कृति और कला
संयुत्तनिकाय में भगवान् बुद्ध कहते हैं “भिक्षुओं, मैंने चेतना को कर्म कहा है, चेतना पूर्वक कर्म किया जाता है, शरीर से, वाणी से, मन से । 2
प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन ने भी इसी तथ्य का विश्लेषण माध्यमिककारिका में किया है। भगवान् बुद्ध कर्म को दुःख की उत्पत्ति का प्रधान कारण मानते थे तथा बौद्ध धर्म-दर्शन में संसार मीमांसा में कर्म की प्रमुखता सर्वदा वर्तमान रही है।
बुद्ध कहते हैं "मैं चेतना पूर्वक किये और संचित कर्मों के फल को प्रतिसंवेदन किये बिना उनके और दुःख का अन्त नहीं बताता हूँ । प्रत्येक के लिए दुःख का अन्त बोधपूर्वक किये गये कर्मों के क्षीण होने पर ही सम्भव है । "4
इस प्रकार हम देखते हैं कि बौद्ध दर्शन में कर्म को संसार का आसन्न कारण स्वीकार किया गया है, किन्तु मानसिक या चैतसिंक कर्म को कर्म की परिभाषा में आबद्ध करने वाले बौद्धों का कर्म जैनों के कर्म से भिन्न है, क्योंकि जैन कर्म को पौद्गलिक मानते हैं। वेदानुसारी मत से भी इस प्रसंग में बौद्धों का भेद है, क्योंकि वैदिक मत में कर्म को जीव रूपी कर्त्ता का व्यापार और उससे उत्पन्न अदृष्ट शक्ति माना जाता है, किन्तु बौद्ध धर्म-दर्शन में कर्म को किसी सतत अनुवर्तमान कर्ता का धर्म नहीं माना गया है। भगवान् बुद्ध के अनुसार कर्म और कर्मफल की एक अनादि और अविच्छिन्न परम्परा है, जिससे कर्म का करना और उसके फल का भोगना, दोनों समान प्रवाह में आपतित घटना मात्र है। उन्होंने किसी अनुगत और स्थायी कर्ता या भोक्ता को स्वीकार नहीं किया है।
इससे यह स्पष्ट है कि बौद्धमत ने बाह्य क्रियाओं के स्थान पर मानसिक संकल्प को नैतिक निर्णय का आधार बनाकर कर्म - सिद्धान्त का कायाकल्प ही कर दिया है। अट्ठसालिनी में कहा गया है
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"चेतनाहं भिक्खवे कम्मं वदामि चेतयित्वा कम्मं करोति, कायेन वाचा य,
मनसा
मनसा, वाचा, कर्मणा (कायेन) किये गये कार्य को 'कर्म' कहा जाता है ' किन्तु यहाँ यह ध्यातव्य है कि कायिक या वाचिक कर्म अनुष्ठित किया गया हो या नहीं,
2. संयुक्तनिकाय (रो) जि. 2, पृ: 39
3. चेतना चेतयित्वा च कर्मोक्तं परमर्षिणा तस्यानेकविधो भेदः कर्मणः परिकीर्तितः । ।
तत्र यच्चेतनेत्युक्तं कर्म तन्मानसं स्मृतम् ।
चेतयित्वा च यत्तूक्तं तत्तु कायिक- वाचिकम् ।।
4.
बौद्धधर्म के विकास का इतिहास, डॉ. गोविन्दचन्द्र पाण्डे, पृ. 65-66
5. अट्ठसालिनी, पृ. 82
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- माध्यमिककारिका, 17.2-3
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