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154 * बौद्ध धर्म-दर्शन, संस्कृति और कला इतिहास एवं संस्कृति को नए आयाम प्रदान किए हैं। डॉ. गोविन्द चन्द्र पाण्डे के अनुसार "कला और धर्म का यह समन्वय एक विशाल आध्यात्मिक क्रान्ति का द्योतक था।"25 जहाँ कला बौद्ध विचारों, आदर्शो, सिद्धान्तों के लिए विनिमय की भाषा बन गयी है वहीं बौद्ध धर्म कला की सम्प्रेषणीयता के लिए समग्र दृष्टि बन गया है और दोनों की समन्यवयात्मकता का गुण विस्मय का प्रभाव पैदा करता है। धर्म वही है जो मनुष्य को सरल बना दे और कला आत्मा की सरल अभिव्यक्ति मानी गयी है। सरलता की दोनों में उभयनिष्ठ अभिव्यक्ति है। दोनों का सरल तालमेल आज भी इनके स्वर्णिम अतीत को पुष्ट बनाता है और भावी सम्भावनाओं के लिए दृष्टि एवं अवसर प्रदान करता है।
- शोध छात्रा, विजुअल आर्ट विभाग मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय
उदयपुर (राज.)
25. डॉ. गोविन्द चन्द्र पाण्डे, बौद्ध धर्म के विकास का इतिहास, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ,
2006 पृ. 164
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