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150 * बौद्ध धर्म-दर्शन, संस्कृति और कला को भी सुदूर देशों में पहुँचाने का कार्य किया है। 'बौद्धकला में चित्र, स्थापत्य और शिल्प की त्रिवेणी का एक साथ दर्शन होता है। असंख्य मठ, संघाराम, विहार और चैत्य आज भी बौद्ध कला के उज्ज्वल अतीत के साक्षी हैं।18 कला के क्षेत्र में बौद्ध धर्म का अवदान
बौद्ध धर्म कला जगत् के लिए ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण भारतीय परिदृश्य के लिए स्वर्णिम विभव के रूप में उदित हुआ। बुद्ध के विचारों ने साहित्य और दर्शन के साथ-साथ कला-वैभव को भी उन्नत शिखर पर पहुँचा दिया। बौद्ध संस्कृति के समन्वयवादी दृष्टिकोण ने अन्य देशों की संस्कृति के अनेक पक्ष स्वीकार किए और उन देशों की संस्कृति को भी अपने विचार और अपनी कला के उच्चादर्श दिए। संसारभर के विभिन्न देशों में भारतीय साहित्य, संस्कृति और कला का प्रवेश बौद्ध धर्म के माध्यम से हुआ।
प्रत्येक काल में बौद्ध धर्म ने कला परिक्षेत्र को नूतन प्रतिमान एवं अद्भुत विरासत प्रदान की है। बौद्ध धर्म की प्रथम और अत्यन्त विशिष्ट देन है- 'अभूतपूर्व कला स्थापत्य।' भारतीय कला एवं स्थापत्य के विकास में बौद्ध धर्म का योगदान वर्णनातीत है। 'स्तूप', 'चैत्य' एवं विहार' - ये तीनों ही स्थापत्य के क्षेत्र में नवीन अध्याय थे, जो कि बौद्ध धर्म के कारण ही कला जगत के क्षेत्र में आए। ये तीनों ही स्थापत्य की नवीन अवधारणा के रूप में सामने आए, जिसका श्रेय बौद्धधर्म को जाता है। स्तूपों, चैत्यों और विहारों के अतिरिक्त गुहाएँ, मूर्तियाँ और चित्रसारियाँ भी बौद्ध कला की विरासत में शामिल हैं। सांची, सारनाथ, भरहुत, अमरावती आदि के स्तूप, सारनाथ का सिंहशीर्षकयुक्त स्तम्भ, रामपुरवा का पाषाण निर्मित वृषभ, लौरियानन्दनगढ़ का स्तम्भ, गांधार की मैत्रेय मूर्ति, सारनाथ से प्राप्त धर्मचक्रप्रवर्तन मुद्रा में बुद्ध की धातुमूर्ति (गुप्तकालीन), मथुरा की 'अवलोकितेश्वर बोधिसत्त्व' तथा 'कश्यप बुद्ध' की मूर्तियाँ, चौखण्डी स्तूप (सारनाथ) धमेख स्तूप (सारनाथ), एलोरा की विशाल बौद्ध प्रतिमाएँ ('ध्यानस्थ बौद्ध', 'पद्मपाणि अवलोकितेश्वर' तथा 'वज्रपाणि' आदि), परखम और पटना की यक्षछवियाँ, अजन्ता की विश्व-विख्यात गुफाएँ एवं उनकी चित्रकारियाँ आदि - ये सभी भारतीय कला के उच्च कीर्तिमान हैं, जिन्होंने हमारी कला एवं संस्कृति, को समृद्धिशाली बनाया है। गान्धार, मथुरा, अमरावती, नासिक, कार्ले, भाजा आदि बौद्ध कला के प्रमुख केन्द्र थे। बौद्ध धर्म का अध्ययन करने तथा बौद्ध स्थलों का अवलोकन करने की लालसा से कई विदेशी यात्री भारत आए। आज भी भारत के कई स्थानों पर बौद्ध स्मारक विद्यमान हैं तथा श्रद्धालुओं के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं।
18. भारतीय चित्रकला, पृ. 128
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