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124 * बौद्ध धर्म-दर्शन, संस्कृति और कला 7. देवानांप्रिय (सम्राट अशोक) की ऐसी कामना है कि सब सम्प्रदाय वाले बहुत
विद्वान हों और कल्याण के भागी हों।
बुद्ध के उपदेशों में ही नहीं उनके जीवन के कई प्रसंगों में साम्प्रदायिक सद्भाव दृग्गोचर होता है। उन्होंने अनेक राजपुत्रों और धर्मज्ञों, गंवार ब्राह्मण, नाई उपाली, भंगी सुणीत, सोपाक तथा सुप्पिय अछूत, कुष्ठ रोगी सुप्रबुद्ध, अंगुलिमाल जैसे हत्यारे, स्त्रियों में प्रकृति नामक चंडालिका, नगरवधू आम्रपाली सहित अनेक लोगों को धम्म दीक्षा दी, जो हर वर्ग के थे, हर सम्प्रदाय के थे। अतः साम्प्रदायिक सद्भाव में वृद्धि हेतु बाह्य व्यवस्था को ठीक करने के साथ भीतर में सद्भाव उत्पन्न करने के लिए बौद्ध दर्शन के इन सिद्धान्तों को भी जन-जन के हृदय तक पहुँचाना आवश्यक है।
- अतिथि अध्यापक, संस्कृत-विभाग जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर
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