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. 98 * बौद्ध धर्म-दर्शन, संस्कृति और कला किए गए। बुद्ध के परिनिर्वाण के पश्चात् राजगृह में आहूत प्रथम संगीति में उन्हें अपने इस क्रांतिकारी कार्य हेतु 'दुक्कर' के दण्ड का दोषी भी माना गया था। परन्तु इसमें कोई सन्देह नहीं कि भिक्षुणियों की आने वाली पीढ़ियों ने उन्हें हमेशा आदर की दृष्टि से देखा। चतुर्थ शताब्दी ई. में चीनी यात्री फाह्यान ने मथुरा में आनन्द की स्मृति में निर्मित एक स्तम्भ के प्रति भिक्षुणियों को सम्मान प्रदर्शित करते हुए देखा था। उनके इस कथन की पुष्टि उनके लगभग 300 वर्षों बाद आने वाली यात्री ह्वेनत्सांग ने भी की है।"
नारी जाति के लिए बौद्ध संघ में प्रवेश की भले ही कठोर शर्ते बुद्ध ने क्यों न लागू की हों, किन्तु इससे शताब्दियों पूर्व खो चुके उनके सामाजिक अधिकार उन्हें फिर से मिल पाए। वे स्वतंत्र रूप से जीवन जीने की अधिकारिणी मानी जाने लगी। थेरीगाथा में विभिन्न भिक्षुणियों द्वारा संघीय जीवन जीने के भावोद्गार देखने को मिलते हैं। आम्रपाली जैसी गणिका का उद्धार भगवान् बुद्ध की नारी जाति के प्रति मानवीय संवेदना का सुन्दर उदाहरण है।
___“नारी जाति के प्रति तथागत की करुणा एवं कल्याण भावना को 21वीं शताब्दी के चश्मे से न देखकर तत्कालीन परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में यदि देखा जाए तो बुद्ध सचमुच ही एक क्रान्तिकारी युग-प्रवर्तक महापुरुष के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं।
-बौद्ध दर्शन विभाग जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू
19. तत्रैव, पृ. 458 20. एस.बील - बुद्धिस्ट रिकार्ड ऑफ द वेस्टर्न वर्ल्ड,खण्ड - 1,पृ. 22 21. तत्रैव, खण्ड-2, पृ. 213 |
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