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________________ आगम (४५) अनुयोगद्वार”- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्ति:) ............ मूलं [१४४] / गाथा ||११४...|| .............. मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [४५], चूलिकासूत्र - [२] "अनुयोगद्वार" मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१४४] जहा-रुवीअजीबदव्वा य अरूवीअजीवदव्वा य । अरूवीअजीवदव्वाणं भंते ! कइविहा पण्णत्ता?, गो०! दसविहा पण्णत्ता, तंजहा-धम्मत्थिकाए धम्मस्थिकायस्स देसा धम्मत्थिकायस्स पएसा अधम्मत्थिकाए अधम्मस्थिकायस्स देसा अधम्मथिकायस्स पएसा आगासस्थिकाए आगासस्थिकायस्स देसा आगास० पएसा, अद्धासमए । रूवीअजीवदव्वाणं भंते ! कइविहा पं०?, गो०! चउठिवहा पण्णत्ता, तंजहा -खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला, ते णं भंते! किं संखिज्जा असंखिजा अणंता ?, गो०! नो संखेज्जा नो असंखेज्जा अणंता, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नो संखेज्जा नो असंखेजा अणंता ?, गो०! अणंता परमाणुपोग्गला अणंता दुपएसिआ खंधा जाव अणंता अणंतपएसिआ खंधा, से एएणऽटेणं गो०! एवं वुश्चइनो संखेज्जा नो अ० अणंता । जीवदव्वाणं भंते ! किं संखिजा असंखिजा अर्णता?, गो० नो संखिजा नो असंखिज्जा अणंता, से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ-नो संखिज्जा नो असं दीप अनुक्रम [२९८] ~390~
SR No.004147
Book TitleAagam 45 ANUYOGDWAR Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages547
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size124 MB
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