SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 387
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (४५) अनुयोगद्वार”- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्ति:) ........... मूलं [१४३] / गाथा ||११३-११४|| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [४५], चूलिकासूत्र - [२] "अनुयोगद्वार" मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१४३] गाथा: ||-II आयामविक्खंभेणं जोअणं उव्वेहेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, से णं पल्ले एगाहिअबेआहिअतेआहिअ जाव भरिए वालग्गकोडीणं, ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेजा जाव णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा, जे णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा तेहिं वालग्गेहिं अप्फुन्ना तओ णं समए २ एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे जाव निट्रिए भवइ से तं ववहारिए खेत्तपलिओवमे । एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी भवेज दसगुणिया । तं ववहारिअस्स खेत्तसागरोवमस्स एगस्स भवे परीमाणं ॥१॥ एएहिं ववहारिएहिं खेतपलिओवमसागरोवमेहिं किं पओअणं?, एएहिं व० नस्थि किंचिप्पओअणं, केवलं पण्णवणा पण्णविजइ, से तं वव० से किं तं सुहुमे खेतपलिओवमे १२ से जहाणामए पल्ले सिआ जोअणं आयाम० जाव परिक्खेवेणं से णं पल्ले एगाहिअबेआहिअतेआहिअ जाव भरिए वालग्गकोडीणं तत्थ णं एगमेगे वालग्गे असंखिजाई खंडाई कजइ, ते णं वालग्गा दिट्ठीओगाहणाओ असंखेजइभा दीप अनुक्रम [२९३-२९७] Jantic ~386~
SR No.004147
Book TitleAagam 45 ANUYOGDWAR Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages547
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size124 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy