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________________ आगम (४५) अनुयोगद्वार”- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्ति:) .......... मूलं [१४३] / गाथा ||११३-११४|| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [४५], चूलिकासूत्र - [२] "अनुयोगद्वार" मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१४३] अनुयो मलधारीया वृत्ति उपक्रमे प्रमाणद्वार ॥१९२॥ गाथा: ||-|| गमेत्ता सुहमस्स पणगजीवस्स सरीरोगाहणाओ असंखेज्जगुणा, ते णं वालग्गा णो अग्गी डहेजा जाव णो पूइत्ताए हव्वमागच्छेज्जा, जे णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा तेहिं वालग्गेहिं अप्फुन्ना वा अणाफुपणा वा तओणं समए २ एगमेगं आगासपएसं अवहाय जावइएणं कालेणं से पल्ले खीणे जाव णिट्टिए भवइ, से तं सुहमे खेत्तपलिओवमे । तत्थ णं चोअए पण्णवर्ग एवं वयासी-अस्थि णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा जे णं तेहिं वालग्गेहिं अणाफुण्णा?, हंता अस्थि, जहा को दिटुंतो?, से जहाणामए कोटुए सिआ कोहंडाणं भरिए तत्थ णं माउलिंगा पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ णं बिल्ला पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ णं आमलगा पक्खित्ता तेवि माया, तत्थ णं बयरा प० तेऽवि माया, तत्थ णं चणगा पक्खित्ता तेऽवि माया, तत्थ णं मुग्गा पक्खि०, तत्थ णं सरिसवा प०, तत्थ णं गंगावालुआ पक्खित्ता सावि माया, एवमेव एएणं दिटुंतेणं अस्थि णं तस्स पल्लस्स आगासपएसा जे णं तेहिं वालग्गेहि अणाफुण्णा । एएसिं ॐॐ दीप अनुक्रम [२९३-२९७] ॥१९२॥ *5649 SSS ~387~
SR No.004147
Book TitleAagam 45 ANUYOGDWAR Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages547
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size124 MB
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