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________________ आगम (४५) अनुयोगद्वार”- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्ति:) ............... मूलं [११३-११४] / गाथा ||१५...|| ............ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [४५], चूलिकासूत्र - [२] "अनुयोगद्वार" मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक अनुयोग मलधारीया माधिक [११३ -११४] ॥९८॥ से किं तं संगहस्स अणोवणिहिआ कालाणुपुब्बी?, २ पंचविहा पण्णत्ता, तंजहाअट्रपयपरूवणया भंगसमुकित्तणया भंगोवदंसणया समोआरे अणुगमे (सू० ११३)। से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया?, २ एआइं पंचवि दाराइं जहा खेत्ताणुपुवीए संगहस्स तहा कालाणु० एवि भाणिअव्वाणि, णवरं ठिइअभिलावो, जाव से तं अ णुगमे । से तं संगहस्स अणोवणिहिआ कालाणु० (सू० ११४)।। यथा क्षेत्रानुपूर्व्यामियं संग्रहमतेन प्राग्निर्दिष्टा तथाऽत्रापि वाच्या, नवरं 'तिसमयट्टिइआ आणुपुब्बी जाव असंखेजसमयठिहआ आणुपुष्वी त्यादि अभिलापः कार्यः, शेषं तु तथैवेति ॥ ११४ ॥ उक्ता संग्रहमतेनाप्यनीपनिधिकी कालानुपूर्वी, तथा च सति अवसितस्तद्विचारः, इदानीं प्रागुद्दिष्टामेवोपनिधिकीं तां निर्दिदिक्षुराह से किं तं उवणिहिआ कालाणुपुव्वी?, २ तिविहा पण्णत्ता, तंजहा-पुब्वाणु० पच्छाणु अणाणुलासे किं तं पुव्वाणु०?, २ समए आवलिआ आण पाणू थोवे लवे मुहुत्ते दीप अनुक्रम [१३६-१३७] ॥९८॥ अथ 'समय' गणितं प्रकाश्यते ~199~
SR No.004147
Book TitleAagam 45 ANUYOGDWAR Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages547
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size124 MB
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