SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 467
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (४४) “नन्दी'- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्तिः ) .................. मूलं [१२]/गाथा ||८१...|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[४४], चूलिका सूत्र-[१] "नन्दीसूत्र" मूलं एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [५२]] इआ इविविसेसा भोगपरिचाया पवजाओ परिआगा सुअपरिग्गहा तवोवहाणाई सीलब्ब व्याख्या धिकारः यगुणवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासपडिवजणया पडिमाओ उवसग्गा संलेहणाओ भत्तपञ्च ज्ञाताक्खाणाई पाओवगमणाई देवलोगगमणाई सुकुलपञ्चायाईओ पुणबोहिलाभा अंतकिरिआओ तिधिकार म.५१-५२ अ आघविजंति, उवासगदसाणं परित्ता वायणा संखेजा अणुओगदारा संखेजा वेढा संखेजा सिलोगा संखेज्जाओ निजुत्तीओ संखेजाओ संगहणीओ संखेजाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगट्ठयाए सत्तमे अंगे एगे सुअक्खंधे दस अज्झयणा दस उद्देसणकाला दस समुद्देसणकाला संखेजा पयसहस्सा पयग्गणं सज्जा अक्खरा अणंता गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अ. णंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइआ जिणपन्नत्ता भावाआघविजंत्ति पन्नविजंति परूविजंति दंसिर्जति निदंसिर्जति उवदंसिजेति, से एवं आया एवं नाया एवं विन्नाया एवं चरणकरणपरूवणा आधविजइ, से तं उवासगदसाओ ७॥ (सू. ५२) . 'से कि त'मित्यादि, अथ कास्ता उपासकदशाः?, उपासकाः-श्रावकाः तद्गताणुव्रतगुणवतादिक्रियाकलापप्रतिबद्धा दशा-अध्ययनानि उपासकदशाः, तथा चाह सूरिः-'उवासगदसासु णमित्यादि पाठसिद्धं यावन्निगमनं, नवरं दीप अनुक्रम 49-645-455-25 [१४५] M VImmunmurary.om ~466~
SR No.004146
Book TitleAagam 44 NANDISOOTRA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages514
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size114 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy