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________________ आगम (४४) “नन्दी'- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्तिः ) ................................. मूल [१२/गाथा ||४८|| ........... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[४४], चूलिका सूत्र-[१] "नन्दीसूत्र" मूलं एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सुत्राक [१२]] गाथा: ||४८ से किं तं वडमाणयं ओहिनाणं ?,२ पसत्थेसुअज्झवसाणटाणेसु वट्टमाणस्स वडमाणचरित्तस्स वधमानोविसुज्झमाणस्स विसुज्झमाणचरित्तस्स सबओ समंता ओही वडइ-जावइआ तिसमयाहा- | वधिःज घिन्यायरगस्स सुहुमस्स पणगजीवस्स । ओगाहणा जहन्ना ओहीखित्तं जहन्नं तु ॥४८॥ सव्वबहु- वधिः अगणिजीवा निरंतरं जत्तियं भरिजंसु । खित्तं सवदिसागं परमोही खेत्त निविट्रो ॥४९॥ मासू.१२ अंगुलमावलिआणं भागमसंखिज दोसु संखिजा । अंगुलमावलिअंतो आवलिआ अंगुलपुहत्तं ॥ ५० ॥ हत्थंमि मुहुर्ततो दिवसंतो गाउअंमि बोद्धव्यो । जोयण दिवसपुहत्तं पक्खतो पन्नवीसाओ॥ ५१॥ भरहमि अद्धमासो जंबुद्दीवमि साहिओ मासो। वासं च मणुअलोए वासपुहुत्तं च रुअगंमि ॥ ५२ ॥ संखिजंमि उ काले दीवसमुद्दाऽवि हुंति संखिजा । कालंमि असंखिजे दीवसमुद्दा उ भइअव्वा ॥ ५३॥ काले चउण्ह वुड्डी कालो भइअव्वु खित्तवुड्डीए। बुद्धिए दव्वपज्जव भइअव्वा खिसकाला उ॥५४॥ सुहुमो अ होइ कालो तत्तो सुहुमयरं हवइ खित्तं । अंगुलसेढिमित्ते ओसप्पिणिओ अंसखिजा ॥५५॥ से तंवडमाणयं ओहिनाणं । (सू.१२) ५५॥ दीप अनुक्रम [६४-७३] ~ 182~
SR No.004146
Book TitleAagam 44 NANDISOOTRA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages514
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size114 MB
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