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आगम
(३८/२)
प्रत
सूत्रांक
[०३९७]
दीप
अनुक्रम [-१९७]
“पंचकल्प” छेदसूत्र -५/२ ( भाष्य )
आयं [०३९७]
...आगमसूत्र [ ३८ / २ ], छेदसूत्र [५/२] “पंचकल्प" संघदासगणिक्षमाश्रमण रचितं भाष्यं
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मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ......
॥ ६ ॥ दुषो य अभिभूओ दिडीकीयो य सहकीयो य एतेसि विसेसमिणं वृच्छामि जहानुपुत्रीए ॥ ७॥ आलिदो जो विति इत्थीहिं एस पढमओ कीवो जो पुरा पढति निमं विउ सो होति णिमंतणाकीवो ॥ ८॥ दुनियददुष्णसम्यं णिमिणमणायारसेविणि वाचिणं जो सुम्मति दिहीकीर्य तयं विति ॥ ९ ॥ अह साहम्मी तष्णधम्मिण जव पावि मिहियाणं इत्पीओ तूर्णं सुम्मति विद्वीय फीवो सो ॥ ४०० ॥ मासारण सह गीतसद परियारसमवावि सोडणं जो सुमति सो भगति सदकीवन्ति ॥ १ ॥ मोहडाए से करे दोसे इसे निरंता सज्ज इत्थम्गणं मरणं अवादि ओहाणं ॥ २ ॥ आलिंदणिमंतणदिसिदकीवाण होति आखणा चउरु उम्गुरु छेदो मूलं च कमेणं तु ॥ ३ ॥ एवं दो आदिले जदि दिक्ले तो हु एवं परियडे जावजीवं नियमियचरितसंपातसहिएहिं ॥ ४ ॥ दिट्ठी य सदकीयो नवरं दिक्वेज उत्तिमम्मि अण् ण तेसि दिक्खा एवं कीवो समाती ||५|| रोगेण व वाहीण व अभिभूयस्सा ण कप्पती दिक्खा गंडीकोदादीओ सोलसहा हवति रोगों उ ॥६॥ वाही पुण अद्वविहो फोडा (डा) दीजो तु होति पायो रोगवाहित्वं दिक्लने ऊ इमे दोसा ॥ ७॥ उकायसमारंभो णानचरितान चैव परिहाणी पंसण पीसण पयणं दोसा एवंविहा होति ॥ ८॥ जाता अणासाला समणाविय दुक्लिया तिमिच्छता तेविय पणा संता होन व समया ण या होजा ॥ ९॥ अतिजो य तेणो पागइओ नामदेसजदाणे तकरस्वाणगतेणी परूवणा तेसिमा होति ॥ ४१० ॥ अतिओ डाडा पाओ छिराय जहप पागतिणं हस्ती मामाईणं अंतर अवाचि तेसिं तु ॥ १ ॥ तेणेव तु कम्मेणं जीवति पणेण तकरो स खलु खताई जो खणती खाणगतेो भवे स खलु ॥ २ ॥ सो पुण तेणो चउहा देशे खिते य काल नावे य एवेसि चउन्हंपी पत्तेय परूवणं वोच्छ्रं ॥ ३ ॥ सचित्ते अथित्ते मीसेऽविय होति दक्षतेनो हु सचिते दुपयादी दुपदे दासाइयं होति ॥ ४ ॥ गोमादी य पउप्पय अपदं फलधण्णमादियं होति अवित्त हिरण्णादी दुपयादि सभंड मीसम्म ॥५॥ एमादि दक्षतेनो साहम्मियअण्णधम्मियगिहीणं । वेणितो सो तिविहोउकोसो मज्झिम जहणो ॥ ६ ॥ गवमाणिकाणि यणितो तो उ उक्कोसो खतखकन्हयत्रियगोणीते तु मज्झिमओ ॥ ७ ॥ गंठीभेदग पहियजणदहारी जहणण एकसय एतो पडगपच्छिगो चेन ॥ ८ ॥ सगदेसपरचिदेसे अंतर तेथे व होति वित्तम्मि राइदियावि काले भावपि य माणवादी ॥ ९ ॥ गोविंद पा सम सुत्त हेतुसट्टा था। पारंचिमवचरमा उदाधिपगादओ चरणे ॥ ४२० ॥ दशादितेण एसो पडावे ण कप्पए सो समान व समणीण व पञ्चाविते इमे दोसा ॥ १ ॥ चण रोहण ताल दास मारणं च पाविज्ञानविस व नरिंदो फरेल संघपि सो रुट्टो ॥ २ ॥ असो व अकित्ती या तंमूलागं तहिं पवयणस्स ठाति गिट्टीणवि एवं सच्चे एयारिसा मणे ॥ ३ ॥ सग्गामपरनामे सदेशपरदेस अंतो वाहिँ था दिमकोसा मज्झिमजह इमा सोही ॥ ४॥ मूल दो गुरु पारि लगगुरुगाय गुरु लहुगो व मासो एएसि चारणा] उ इमा ॥ ५ ॥ सम्मामंती दिहे उकोसो मूल छेदों अदि काहि दिडे छेदो आदि होति गुरुगा ॥ ६॥ परगामंतो दिहे उकोसो छेदी छन्गुरुमदि चाहि दिहे गुरु अदि होति उतना ॥ ७ ॥ ससंतो दि म्गुरु आदि हाँति उउडुगा पहिदि उहुगा अदिडे होति चउगुरुगा ॥ ८॥ परदेसेतो बिहे हुगा अदि होति चतुगुरुगा पहि दि चतुगुरुगा अहि होति लगा ॥ ९ ॥ एवं ता उकोसे मज्झे छेदादि ठाति गुरुमासे उम्मुरुगादि जहणे ठाय अंतम्मिलमासे ॥ ४३० ॥ वितियपद मुकमोचिय अहवा बीसज्जितो गरिदेणं अदाण परविदेसे दिखा से उत्तिम वा ॥ १ ॥ रखो उपरोहादि संवदे तह वह जोगम्मि अम्बुडिओ विनासाय हो रायाकारी तु ॥ २ ॥ सचित्तचित्तमीसगमवकारे दूतले उपकरणं समणाण व समणीण व न कप्पते तारिसे दिखा ॥ ३ ॥ आसो हत्थी खरिया नाहीत कतकतं च कणगादी वा सहमत्ता खरियादी अवहिता होजा ॥ ४ ॥ दोषविरुद्धं च कर्त होजाहि उत्तढलेहो या पिउपुत्तभाउगादी कोई बहिओ व से होगा ॥ ५ ॥ ते तु अणुद्धिय जो पञ्चावेति होति मूलं से एगमणेग ओसा होजा पत्थरदोसा या ॥ ६ ॥ विनियपद मुकमोचिय अहवा बीसजतो गरिदेणं जाण परविदेसे विक्ला से उत्तिम वा ॥७॥ उन्मादोख दुहि खास य मोहनजो दुविचि दिविजा दोसा तु भवे इमे तस्स ॥ ८॥ अगणी आलीषणता आयचचविरागा व उड्डाही एकाय न सहती सझायाणजीगे ॥९॥ पहिणादिवित करेति समिती असमिया यानि उपदिपिण मिति तन्हा पनि दिक्ले उम्मतं ॥ ४४० ॥ दुविहो असणो खलु जाति उपघाती व पायो उपयानो पुण तिथिहो वाही उपपाड अंजनता ॥ १ ॥ एपसंवेगं थिय अपरो पीडिओ मुणेय एवेसि सोहि इमा जमे मुवा ॥ २॥ उदियणपणे वह सेसएस चीणदित तु कमलो तु गुरु चरमे दोसा तहिं दिखते इणमो ॥ ३ ॥ छक्कायविरमणता आवडणं लागुकंटमादी पंडिल पडिहा अंधरस ग कम्पती दिखा ॥ ४॥ आवहति महादोस दंसणकम्मोदण श्रीदी एगमग काही तं तु आवजे ॥ ५॥ गम्भे की जण भिक्ले सावराहि रुदे व एमादि होति दोसा ण कप्पती तारिसे दिवसा ॥६॥ राया व रायमथो कितिकम्मं संजता कुतो ठूण दुक्क्रयं स एयारिसा मण्गे ॥७॥ यह पंच उदय सिंसण दासत्तमेव पावेखा। णिसिपि परिंदो करेज संपपि सो रुडो ॥ ८॥ अजसो (२६८ मुनि १०७२
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