________________
[२८] श्री तन्दुलवैचारिक (प्रकीर्णक)सूत्रम्
नमो नमो निम्मलदंसणस्स
पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित- सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः
“तन्दुलवैचारिक ” मूलं एवं छाया
[मूलं एवं संस्कृतछाया]
[आद्य संपादकः - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. ]
(किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह )
पुनः संकलनकर्ता→ मुनि दीपरत्नसागर (M.Com, M.Ed., Ph.D.)
15/01/2015, गुरुवार, २०७१ पौष कृष्ण १०
jain_e_library's Net Publications
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....आगमसूत्र [२८] प्रकीर्णकसूत्र- [५] "तन्दुलवैचारिक मूलं एवं संस्कृतछाया
~0~