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आगम
(१८)
“जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति” - उपांगसूत्र-७ (मूलं+वृत्ति:) वक्षस्कार [७], -----
---- मूलं [१५३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [१८], उपांग सूत्र - [७] "जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति मूलं एवं शान्तिचन्द्र विहित वृत्ति:
श्रीजम्बू
द्वीपशा
प्रत सूत्रांक [१५३]
वक्षस्कारे करणाधि| काररसू.
१५३
न्तिचन्द्री
या वृत्तिः ॥४९३॥
मत करणा परा पत्तारि करणा चिरा पण्णता, तंजहा-बवं बालवं कोलवं बिविलोअर्ण गरादि वणिज विडी. एते सत्त करणा चरा, बत्तारिकरणा विरा पं० सं०-सउणी चउप्पयं णार्ग किंस्थुग्ध, एते णं चत्तारि करणा थिरा पण्णता, एते भन्ते ! परा थिरावा कया भवन्ति', गोलमा! सुकपक्खस्स पडिवाए राओ थवे करणे भवइ, वितियाए दिवा बालवे करणे भवह, रामो कोलवे करणे भवइ, ततिआए दिया थीविलोअणं करणं भवइ, राओ गराइ करणं भवइ, पउत्थीए विषा वणिज राओ विट्ठी, पंचमीए दिवा बवं राओ बालवं, छवीए दिवा कोलवं राओ थीविलोअणं, सप्तमीए दिवा गराइराभो वणिक अटमीए दिवा थिट्री रामो बवं नवमीए दिवा बालवं राओ कोलवं दसमीए दिया धीविलोअणं राओ गराई एकारसीए दिवा वणिज रामो विट्ठी पारसीए दिया बवं राजो बालवं तेरसीए दिया कोलवं राओ थीविलोअणं चउसीए दिवा गराति करणं राओ वणिजे पुण्णिमाए दिवा विट्ठीकरणं राओ ववं करणं भवइ, बहुलपक्खस्स पडिवाए दिवा बालवं राओ कोलवं वितिआए दिवा थीविलोमण रामओ गरादि ततिआए दिवा वणिज राओ विट्ठी चउत्थीए दिवा बर्व राओ बालवं पंचमीए दिवा कोलवं रामो थीविलोअणं छडीए दिवा गराई राओ वणि सत्तमीए विवा विट्ठी राओ वर्ष अहमीए विवा बालब रामओ कोलप णवमीए दिषा वीविलोभण रामओ गराई दसमीए दिवा वणि रामओ विट्ठी एकारसीए दिवा पर्व राओ वालवं पारसीए दिया कोलवं रामो थीविलोभणं तेरसीए दिवा गराई रामओ वणिज चउदसीए दिवा विठ्ठी राओ सउणी अमावासाए दिवा चउप्पयं रामओ णार्ग सुकपक्खस्स पाडिवए दिवा कित्थुग्धं करणं भवइ (सूत्र १५३) • 'कति णं भन्ते !'इत्यादि, कति भदन्त ! करणानि प्रजातानि?, गौतम! एकादश करणानि प्रज्ञप्तानि, तथथा-वर्ष
93800000
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दीप अनुक्रम [२९९]]
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॥४९३॥
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