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आगम
(१७)
चन्द्रप्रज्ञप्ति" - उपांगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) प्राभृत [९], -------------------- प्राभृतप्राभृत-], -------- ----- मूलं [३१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१७], उपांग सूत्र - [६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
(मल)
प्रत सूत्रांक [३१]
दीप
सूर्यप्रज्ञ- माछाणवतीए छायाणुमाणुप्पमाणेहिं उमाए एस्थ णं से सूरिए छण्णउतिं पोरिसियं छायं णिवत्तेति एगे एव-121 प्राभूते प्तिवृत्तिः |माहंसु, वयं पुण एवं वदामो, सातिरेगअउणट्ठिपोरिसीणं सूरिए पोरिसीछायं णिवत्तेति, अवद्धपोरिसी णं पारुपीछा
छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, ता तिभागे गते वा सेसे वा, ता पोरिसी णं छाया दिवसस्स किया सू. २१ गते वा सेसे वा?, ता चउभागे गते वा सेसे वा, ता दिवद्धपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, ता पंचमभागे गते वा सेसे वा, एवं अद्धपोरिसिं छोई पुच्छा दिवसस्स भागं छोडं वाकरणं जाव ता: अद्धअउणासहिपोरिसीछायादिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, ता एगूणवीससतभागे गते वा सेसे वा, ता अउणसडिपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे चा बावीससहस्सभागे गते वा सेसे वा, ता सातिरंगअउणसहिपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, ता णस्थि किंचि गते वा सेसे वा, तत्थ खलु माइमा पणवीसनिविट्ठा छाया पं०, तं०-खंभछाया रज्जुछाया पागारछाया पासायछाया उबग्गछाया उचत्तछाया
अणुलोमछाया आरुभिता समा पडिहता खीलच्छाया पत्रच्छाया पुरतोउदया पुरिमकंठभाउवगता पच्छिमकंठभाउवगता छायाणुवादिणी किटाणुवादिणाछाया छायछाया (गोलछाया तत्व णं गोलच्छाया अट्ठविहा)पं०२०-गोलछाया अबद्धगोलच्छाया गाढलगोलछाया अवद्धगाढलगोल छाया गोलाबलिच्छाया अवहुगोलावलिच्छाया गोलपुंजछाया अवद्धगोलपुंजछाया॥ (सूत्रं ३१) ॥णवमं पाहुडं समत्तं ॥
HABAR
अनुक्रम [४५]
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