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आगम
(१५)
“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [२४], -------------- उद्देशक: [-], ------------- दारं [-], -------------- मूलं [२९९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [२९९]
दीप अनुक्रम [५४६]
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बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधति ?, गो० सवेषि ताव होज सत्तविहबंधगा य अङ्कविहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहवंधगा य छविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अढविहबंधगा य छविहबंधगा य, णेरइया ण मैते ! णाणावरणिज कर्म बंधमाणा कति कम्मपगडीतो बंधति ? गो० सदेवि ताव होजा सत्तविहबंधगा अहवा सत्तविहर्वधगा य अढविहबंधगे य, अहवा सचविहबंधगा य अद्वविहबंधगा य तिणि भंगा, एवं जाव थणियकुमारा, पुढविकाइया णं पुच्छा, गो! सत्तविहबंधगावि अट्टविहबंधगावि एवं जाव वणफइकाइया, विगलाणं पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं तियभंगो सवेवि ताव होज सत्तविहबंधगा अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य, मणसा णं भंते ! णाणावरणिज्जस्स पुच्छा, गो! सवेवि ताव होज्जा सचविहवंधगा १ अहया सत्तविहवंधगा य अढविहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अढविहबंधगा य ३ अहवा सचविहबंधगा य छबिहबंधए य ४ अहवा सत्तविहबंधगा य छबिहबंधगा य ५ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य छबिहबंधगे य ६ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहवंधगे य छबिहबंधगा य ७ अहवा सत्तविहबंधगा य अढविहवंधगा य छबिहबंधगे य ८ अहवा सत्चविहबंधगा य अढविहबंधगा य छबिहबंधगा य ९ एवं एते नव भंगा, सेसा वाणमंतरादिया जाव बेमाणिता जहा नेरइया सचविहादिबंधगा भाणिता सहा भाणितवा, एवं जहा णाणावरणं बंधमाणा जहिं भणिता दसणावरणपि बंधमाणा तहिं जीवादीया एगत्तपोहुचेहिं भाणितत्वा, बेयणिजं बंधमाणे जीवे कति०, गो०! सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा छबिहबंधए वा एगविहबंधए वा, एवं मासेवि, सेसा नारगादीया सचवि० अढविहबंधगा जाव येमाणिते, जीवा ]
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