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________________ आगम (१५) “प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [२२], -------------- उद्देशक: [-], ------------- दारं [-], --------------- मूलं [२८१-२८१R] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: Pos प्रत सूत्रांक [२८१२८१R] वाधिकृत्य जीवानामेकपृथक्त्वाभ्यां कर्मवन्धत्वमुपदिदर्शयिषुराह जीवे णं भंते ! पाणातिवाएणं कति कम्मपगडीओ बंधति', गो! सचविहबंधए वा अढविधबंधए वा, एवं नेरइए जान निरंतर वेमाणिते, जीवा णं भंते ! पाणातिवाएणं कति कम्मषगडीओ बंधति ?, गो० । सत्तविहबंधगावि अविहबंधगावि, नेरइया णं भंते ! पाणातिवाएणं कइ कम्मपगडीओ बंधति ?, गो० सवि ताव होज्जा सत्तविहवंधगा अहवा सत्तविहबंधगा य अट्टविहबंधए य अहवा सत्तविहबंधगा य अवविहबंधगा य, एवं असुरकुमारावि जाव थणियकुमारा पुढविआउतेउवाउवणप्फइकाइया य, एए सब्वेवि जहा ओहिया जीवा, अवसेसा जहा नेरइया, एवं ते जीवेगिंदियवज्जा तिण्णि तिण्णि भंगा सबत्थ भाणियबत्ति, जाव मिच्छादसणसल्ले, एवं एगत्तपोहचिया छत्तीसं दंडगा होति । (सूत्र २८१) जीवे णं भंते! णाणावरणिज कम्मं बंधमाणे कति किरिए, गो०1 सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, एवं नेरइए जाव घेमाणिए, जीवाणं भंते ! णाणावरणिज बंधमाणा कतिकिरिया०१, गो! सिय तिकिरिया सिय चउकिरिया सिय पंचकिरियावि, एवं नेरइया निरंतरं जाव वेमाणिया, एवं दरिसणावरणीयं वेदणिजं मोहणिज आउयं नामं मोतं अंतराइयं च अढविहकम्मपगडीतो माणितवाओ, एगचपोहत्तिया सोलस दंडया भवन्ति, जीवे गं भंते ! जीवातो कतिकिरिए, गो। सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए सिय अकिरिए, जीवे णं मंते ! नेरइयाओ कतिकिरिए, गो! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय अकिरिए, एवं जाव थणियकुमाराओ, पुढविकाइयातो आउकाइयातो तेउकाइयातो चाउकाइयवणफइकाइयवेइंदियतेईदियचउरिदियपंचिंदियतिरिक्खजोणियमणुस्सातो जहा Desentatistatemesesercence दीप अनुक्रम [५२७-५२८] मूल-सम्पादकस्य स्खलनत्वात् अत्र सूत्र-क्रमांक '२८१' द्वि-वारान् मुद्रितं, तस्मात् मया '२८१-R' इति संज्ञा दत्वा सूत्र-क्रमांक लिखितं ... जीवेण/जीवाभ्याम् वा विविध कारणात् कर्मप्रकृत्तिबन्ध: ~881~
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
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