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________________ आगम (१५) “प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१६], --------------- उद्देशक: [-], --------------- दारं [-], --------------- मूलं [२०४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] “प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्रांक [२०४] प्रज्ञापनायाः मलयवृत्ती. १६ प्रयोगपदं ॥३२001 दीप अनुक्रम [४४०] जाव वेउदियमीससरीरकायप्पओगीचि कम्मासरीरकायप्पओगीवि १३, अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी यर अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य आहारगमीससरीरकायप्पओगी य ३, अहवेगे य आहारगमीससरीरकायप्पोगिणो य ४, चउमंगो, अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीससरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पोगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य २ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य ३ अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारगमीसासरीरकायप्पओगिणो य ४, एए जीवाणं अह१। नेरइयाण मंते ! कि सच्चमणप्पओगी जाव किं कम्मसरीरकायप्पओगी १११, नेरइया सवेवि ताव होआ सच्चमणप्पओगीवि जाव वेउदियमीसासरीरकायप्पओगीवि, अहवेगे य कम्मसरीरकायप्पओगी य १ अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पोगिणो य २, एवं असुरकुमारावि, जाव थणियकुमाराणं । पुढविकाइयाणं भंते ! किं ओरालियसरीरकायप्पओगी ओरालियमीसासरीरकायप्पओगी कम्मासरीरकायप्पयोगी?, गो! पुढविकाइया ओरालियसरीरकायप्पओगीवि ओरालियमीससरीरकायष्पओगीवि कम्मासरीरकायप्पओगीवि, एवं जाव वणफइकाइयाणं, णवरं बाउकाइया वेउवियसरीरकायप्पओगीवि वेउवियमीसासरीरकायप्पओगीवि, बेईदियाण मंते ! कि ओरालियसरीरकायप्पओगी जाव कम्मासरीरकायप्पओगी, गो! बेइंदिया सबेवि ताव होजा असच्चमोसवइप्पओगीवि ओरालियसरीरकायप्पओगीवि ओरालियमीससरीरकायप्पओगीषि, अहवेगे य कम्मासरीरकायप्पओगीवि, अहवेगे य कम्मासरीरकायपओगिणो य, एवं जाव चउरिदियावि, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया, नवरं ओरालियसरीरकायप्पओगीवि एecestaese. 32oll ~644 ~
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
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