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आगम
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“प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [१]. -...--------------- उद्देशक: -1, ------------------ दारं [-], ... . .- मूलं [...४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
[४]
प्रज्ञापना- परिणयावि २०, जे सण्ठाणओ वट्टसण्ठाणपरिणता ते वणओ कालवण्णपरिणयावि नीलवण्णपरिणयाविलोहियवण्णपरिणयावि
१प्रज्ञापयाः मल- हालिवण्णपरिणयावि मुकिल्लवण्णपरिणयावि गन्धओ सुन्भिगन्धपरिणयावि दुब्भिगन्धपरिणयावि रसओ तित्तरसपरिणतावि नापदे रूय० वृत्ती. कद्वयरसपरिणतावि कसायरसपरिणतावि अम्बिलरसपरिणयावि महुररसपरिणतावि फासओ कक्खडफासपरिणताबि मउपफास-| प्यजीवप्र.
परिणयावि गुरुयफासपरिणयावि लहुयफासपरिणयावि सीयफासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि निफासपरिणयावि लुक्खफासपरिणयावि २०, जे सण्ठाणओ तंससण्ठाणपरिणता ते वष्णओ कालवण्णपरिणयावि नीलवण्णपरिणयावि लोहियवण्णपरिणयावि हालिद्दवण्णपरिणयावि सुकिल्लवण्णपरिणयावि गन्धो सुब्भिगन्धपरिणयावि दुन्भिगन्धपरिणयावि रसओ तित्तरेसपरिणयावि कडुयरसपरिणयावि कसायरसपरिणयावि अम्बिलरसपरिणयावि महुररसपरिणयावि फासओ कक्खडफासपरिणयावि मउयफासपरिणयावि गुरुयफासपरिणयावि लहुयफासपरिणयावि सीयफासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि गिद्धफासपरिणयावि लुक्खफासपरिणयावि २०, जे सण्ठाणओ चउरंससग्ठाणपरिणता ते वणो कालवण्णपरिणतावि नीलवण्णपरिणतापि लोहिय-1 वण्णपरिणतावि हालिवष्णपरिणवावि सुकिल्लवणपरिणयात्रि गन्धो सुबिभगन्धपरिणयावि दुम्भिगन्धपरिणयावि रसओ तित्तरसपरिणयापि कडुपरसपरिणयावि कसायरसपरिणयावि अम्बिलरसपरिणयावि महुररस्त्रपरिणयावि फासओ कक्खडफासपरिण-INI तावि मउयफासपरिणताबि गुरुयफासपरिणतावि लहुयफासपरिणतावि सीयफासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि निद्धफासप-
I I IS रिणयावि लुक्खफासपरिणयावि २०, जे सण्ठाणओ आयतसण्ठाणपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणतावि नीलवण्णपरिणयावि
लोहियवण्णपरिणयावि हालिदवण्णापरिणयावि सुकिल्लवण्णपरिणयावि गन्धओ सुभिगन्धपरिणयावि दुम्भिगन्धपरिणयापि रसओ
दीप
अनुक्रम
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