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________________ आगम (१५) प्रत सूत्रांक [४] दीप अनुक्रम [१३] प्रज्ञापनायाः मल य० वृत्तौ. ॥ १५ ॥ “प्रज्ञापना” - उपांगसूत्र - ४ ( मूलं + वृत्तिः) उद्देशक: [-], दारं [ - ], ----- पदं [१], मूलं [...४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [१५], उपांग सूत्र [४] " प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः |रिणयावि चउरंससण्ठाणपरिणयावि आययसण्ठाणपरिणयाचि २३, जे फासओ लहुयफासपरिणता ते वष्णओ कालवण्णपरिणताचि नीलवण्णपरिणयावि लोहियवण्णपरिणयावि हालिदवष्णपरिणतावि सुकिल्लवष्णपरिणतावि गन्धओ सुब्भिगन्धपरिणयावि दुब्भिगन्धपरिणयावि रसओ तित्तरसपरिणताबि कयरसपरिणतावि कसायरसपरिणतावि अम्बिलरसपरिणतावि महुररसपरिणतावि फासओ कक्खडफासपरिणताचि मउयफास परिणयावि सीयफासपरिणयाचि उसिणफासपरिणयावि णिद्धफासपरिणतावि लुक्खफा सपरिणतावि सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाणपरिणताचि वट्टसण्ठाणपरिणयाचि वंससष्ठाणपरिणयाचि चउरंससण्ठाणपरिणयावि आययसण्ठाणपरिगयावि २३, जे फासओ सीयफासपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणयावि नीलवण्णपरिणयावि लोहियवष्णपरिणयादि हालिवष्णपरिणतावि सुकिल्लवण्णपरिणयावि गन्धओ सुग्भिगन्धपरिणतावि दुभिगन्धपरिणतावि रसओ तित्तरसपरिणयावि कयरसपरिणयावि कसायरसपरिणतावि अम्बिलरस परिणतावि महुररसपरिणतावि कासओ कक्खडफासपरिणयावि मउयफासपरिण यावि गुरुयफासपरिणतावि लहुयफासपरिणयावि निद्धफासपरिणतावि लुक्खफासपरिणयावि सष्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाणपरिणयावि वट्टसण्ठाणपरिणयावि तंससष्ठाणपरिणयावि चउरंससष्ठाणपरिणयावि आयतसष्ठाणपरिणयादि २३, जे फासओ उसिणफासपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणयावि नीलवण्णपरिणयावि लोहियवष्णपरिणयावि हालिद्दवण्णपरिणयावि सुकिल्लवण्णपरिणयाचि गन्धओ सुभिगन्धपरिणयावि दुब्भिगन्धपरिणयावि रसओ तित्तरसपरिणयावि कडुयरसपरिणयाबि कसायरसपरिणयावि अम्बिलरसपरिणयावि महुररसपरिणयावि फासओ कक्खडफासपरिणयावि मउयफासपरिणयावि गुरुयफास परिणयावि लहुयफास परिणयावि निद्धफासपरिणयावि लुक्खफासपरिणयावि सण्ठाणओ परिमण्डलसण्ठाणपरिणयाचि बहसष्ठाण परिणयाचि Education Internationa For Pernal Use On ~34~ १ प्रज्ञाप नापदे रू प्यजीवम. (सू. ४) ।। १५ ।।
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
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