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________________ आगम (१५) “प्रज्ञापना" - उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [२], --------------- उद्देशक: [-], ------------- दारं [-1, --------------- मूलं [४०] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रज्ञापनाया:मल प्रत सूत्रांक २ स्थानपदे वायुवनस्पति स्थान [४०] Boticersedecessettes दीप अनुक्रम [१९३] बादरबाउकाइयाण पजत्तगाणं ठाणा तत्व पादरखाउकाइयाणं अपजत्तगाणं ठाणा प०, उववाएणं सधलोए समुग्धारण सबलोए, सहाणेणं लोयस्स असंखेजेसु भागेसु । कहि गं भंते! सुहुमवाउकाइयाण पज्जत्तगाणं अपजतगाणं ठाणा प०१, गोयमा! सुहमवाउकाइया जे पजत्तगाजे य अपञ्जत्तगा ते सके एगविहा अविसेसा अणाणता सबलोयपरियावनगा प० समणाउसो! । कहिणं भंते ! बादरवणस्सइकाइयाणं पञ्जतगाणं ठाणा प०१, गोयमा! सहाणेणं सत्तसु षणोदहिसु सत्सु घणोदहिवलयेसु अहोलोए पायालेसु भवणेसु भवणपस्थडेसु, उड्डलोए कप्पेसु विमाणेसु विमाणावलियासु विमाणपत्थडेसु, तिरियलोए अगडेसु तडागेसु नदीसु दहेसु वावीसु पुक्खरिणीसु दीहियासु गुंजालियासु सरेसु सरपंतियासु सरसरपंतियास विलेसु बिलपंतियासु उज्झरेसु निझरेसु चिट्ठलेसु पल्ललेसु वप्षिणेसु दीवेसु समुद्देसु सवेसु चेव जलासएसु जलठाणेसु, एत्थ णं चादरवणस्सइकाइयाणं पजत्तमाणं ठाणा प०, उववाएवं सबलोए समुग्धाएणं सबलोए सहाणेणं लोयस्स असंखेञ्जहभागे । कहिण भंते ! बादरवणस्सइकाइयाणं अपात्तगाणं ठाणा प०१, गोयमा ! जत्थेष बादरखणस्सइकाइयाणं पजचगाणं ठाणा सत्थेव मादरवणस्सइकाइयागं अपजसगाणं ठाणा प०, उपवाणं सवलोए समुग्धाएणं सबलोए सहाणेणं लोयस्स असंखेजइमागे । कहिणं भंते ! सुहुमवणस्सइकाइयाण पजसगाणं अपञ्जत्तगाण य ठाणा प०१, गोयमा ! सुहुमवणस्सइकाइया जे य पजतगा जे य अपजतगा ते सो एगविहा अपिसेसा अणाणता सबलोयपरियावनगा ५० समणाउसो! ।। (मू०४०) ७७ ॥ ~ 158~
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
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