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________________ आगम (१४) प्रत सूत्रांक [१८० ] दीप अनुक्रम [ २८९ -२९१] “जीवाजीवाभिगम” - उपांगसूत्र - ३ ( मूलं + वृत्ति:) उद्देशकः [(द्विप्-समुद्र)], प्रतिपत्तिः [३], मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित मूलं [१८० ] आगमसूत्र [१४], उपांग सूत्र [३] "जीवाजीवभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः ग्वत् । 'तेसु णं पब्वयगेसु जाव पक्खंदोलगेसु बहवे हंसासणाई उन्नयासणाई पणयासणाई दीहासभाई भद्दारुणाई पक्लासणाई मगरासणाई पउमासणाई सीहासणाई दिसासोबत्थियासणारं सव्वकालिया मयाई अच्छाई जाव पडिरूवाई । वरुणवरस्स णं दीवस्स तत्थ तस्थ देसे तहिं नहि बहवे आलीघरगा मालीघरगा केवइपरगा अच्छणघरगा पेच्छणपरगा मणघरगा पसाहणघरगा गतघरगा मोहणपरगा विश्वहरगा मालघरगा जालघरगा कुसुमघरगा सञ्वकालियामया अच्छा जाव पडिरूवा । तेसु णं आटीचरएस जाव कुसुमघरपसु बहवे हंसासणाई जाब दिसासोवत्थियासणाई सम्वफालियामयाई अच्छाई जाब पडिवाई। वरुणवरे णं दीवे णं तत्थ २ देसे तहिं २ बहवे जातिमंडवगह जूहिया मंडवणा मल्लिया मंडवा नवमालिया मंडवगा वासंतियमंडवगा दहिवासमंडवगा सूरुलियामं डवगा तंबोलमंडवगा अल्फाया मंडवगा अइमुत्तमंडवगा मुद्दियामंडवगा मालुया मंडवगा सामलयामंडवगा सव्यफालिद्दामया अच्छा जाव पडिल्वा । तेसु णं जाइमंडवे जाव सामलयामंडवे बहुवे पुढबिसिलापट्टगा पत्ता, अध्येगइया हंसासणसंठिया अप्पेगइया कोंचा सणसंठिया जाव अप्पेगइया विसासोत्थियासणसंठिया अपेगइया वरस्याविसिह ठाणसंठिया सव्वालियामया अच्छा जाव पड़िरुवा, तत्थ णं बहवे वाणमंतरा देवा देवीओ य आसयंति सर्वति चिद्वेति निसीयंति यति रमंति ललंति कीडंति पुरापोराणाणं सुचिण्णाणं सुपरकंताणं सुभाणं कडाणं कम्माणं कलाणाणं फलवित्तिविसेसे पचणुभवमाणा विहरंति' एतत्सर्वं प्राग्वद् व्याख्येयं नवरं पुस्तकेष्वन्यथाऽन्यथा पाठ इति यथाऽवस्थित पाठप्रतिपत्यर्थ सूत्रमपि लिखितमस्ति तदेवं यस्माद्वरवारुणीवात्र वाप्यादिपूदकं तस्मादेव द्वीपो वरुणवरः, अन्यथ वरुण वरुण चात्र वरुणवरे द्वीपे देवो महर्द्धिको यात्ययोपमस्थितिको परिवसतस्तस्माद्वरुणवरोधरुणदेवप्रधानः, तथा चाह - 'से एएणद्वेग' मित्यादि । चन्द्रादिप्रतिपादनार्थमाह- 'वरुणवरे णं दीवे कइ चंदा पभासिसु इत्यादि For P&Praise Cly ~704~
SR No.004114
Book TitleAagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages938
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size230 MB
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