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आगम
(१३)
“राजप्रश्निय”- उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
---------- मूलं [२७] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१३], उपांग सूत्र - [२] "राजप्रश्नीय" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
प्रत
सत्राक
[२७]
लिणीया रूवगसहस्सकलिया भिसमाणा भिभिसमाणा चक्खुल्लोयणलेसा सुहफासा ससिरीयरूवा यन्नो दाराणं तेसिं होइ, तंजहा-बहरामया णिम्मा रिट्ठामया पइट्ठाणा बेरुलियमया सूइखंभा जायरूचीबचियपवरपंचवन्नमणिरयणकोट्टिमतला हंसगम्भमया एलया गोमेजमया इंदकीला लोहियकखमतीतो दारचेडीओ जोईरसमया उत्तरंगा लोहियकखमईओ सूईओ वयरामया संधी नाणामणिमया समुग्गया वयरामया अम्गला अग्गलपासाया रययामयाओ आवत्नणपेढियाओ अंकुत्तरपासगा निरंतरियषणकवाडा भिनीस चेव भिनिगुलिता छप्पन्ना तिणि होति गोमाणसिया तइया जाणामणिरयणवालरुवगलीलट्ठिअसालभंजियागा बयरामया कुड्डा रययामया उस्सेहा सवतवणिज्जभया उल्लोया णाणामणिरयणजालपंजरमणिवंसगलोहियक्खपडिवंसगरययभोमा अंकामया पक्खा पक्खबाहाओ जोइरसामया वंसा वंसकवेडयाओ रयणामयाओ पट्टियाओ जायरूवमईओ ओहाडणीओ वइरामईओ उवरिपुच्छणाओ सबसेयरययामयाच्छायणे अंकामया कणगडतवणिजथूभियागा सेया संखतलविमलनिम्मलदधिषणगोखीरफेणरययणिगरप्पगासा तिलगरयणद्धचंदचित्ता नाणामणिदामालंकिया अंतो बहिं च सण्हा तवणिज्जवालुयापत्थडा सुहफासा सस्सिरीयरुवा पासाईया दरिमणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा (सूत्र २७)
दीप
अनुक्रम [२७]
Asia
REaratanimal
सूर्याभविमानस्य वर्णनं
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