SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 193
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (१२) “औपपातिक” - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ----------- मूलं [३९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१२], उपांग सूत्र - [१] "औपपातिक" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३९] दीप अनुक्रम [४९] वाए पच्चक्खाए जावजीवाए मुसावाए अदिण्णादाणे पञ्चक्खाए जावजीवाए सब्वे मेहुणे पचक्खाए जाव-18 * जीवाए थूलए परिग्गहे पचक्खाए जावज्जीवाए इयाणिं अम्हे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सब्बं । पाणाइवायं पचक्खामो जावजीवाए एवं जाब सव्वं परिग्गहं पचक्खामो जावज्जीवाए सव्वं कोहं माणं मायं लोहं पेजं दोसं कलहं अभक्खाणं पेसुण्णं परपरिवायं अरहरई मायामोसं मिच्छादसणसलं अकर|णिज्न जोगं पचक्खामो जावजीवाए सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउव्विहंपि आहारं पञ्चक्खामो जावजीवाए जंपि य इमं सरीरं इहं कत पियं मणुषणं मणामं थेज़ वेसासियं संमतं बहुमतं अणुमतं भंडकरंडग समाणं मा णं सीयं मा णं उपहं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं वाला मा णं चोरा मा णं दंसा मा णं *मसगा मा गं वातियपित्तियसंनिवाइयविविहा रोगातका परीसहोवसग्गा फुसंतुसिकटु एयंपिणं चरमेहि ऊसासणीसासेहिं वोसिरामित्तिकट्ठ संलेहणाझसणाझूसिया भत्तपाणापडियाइक्खिया पाओवगया कालं अणवखमाणा विहरंति, तए णं ते परिवाया बहुई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति छेदिसा आलोइअपडिकता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववण्णा, तहिं तेसिं गई दससागरोवमाई ठिई है | पपणत्ता, परलोगस्स आराहगा, सेसं तं चेव १३ (सू०३९)॥ ___ अथ ये चरकपरिव्राजका ब्रह्मलोकं गतास्तदुपदर्शनेनाधिकृतार्थ समर्थयन्नाह-'तेण' मित्यादि व्यक्तं, नवरं 'जेहामूलमासंसित्ति ज्येष्ठा मूलं वा नक्षत्रं पौर्णमास्यां यत्र स्यात् स ज्येष्ठामूलो मासः, ज्येष्ठ इत्यर्थः, 'अगामियाए'त्ति अविद्यमा %.54%-50-560564545%25%25% अंबड-परिव्राजकस्य कथा ~ 192~
SR No.004112
Book TitleAagam 12 AUPAPAATIK Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages244
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size53 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy