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________________ आगम “औपपातिक” - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) (१२) -------- मूलं [३९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१२], उपांग सूत्र - [१] "औपपातिक" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: अम्बड. प्रत सू०३९ सूत्रांक [३९] दीप औपपा- प्पिया! अम्ह इमीसे अगामियाए जाव अडवीए उदगदाताररस सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करित्तए तिकम् त्तिकट्ठ अण्णमण्णस्स अंतिए एअम पडिसुणंति रत्ता तीसे अगामियाए जाव अडवीए उद्गदातारस्स सब्बओ समता मग्गणगवेसणं करेइ करित्ता उदगदातारमलभमाणा दोचंपि अण्णमण्णं सहावेन्ति सदावेत्ता एवं चयासी-इह णं देवाणुप्पिया! उद्गदातारो णत्थि तं णो खलु कप्पइ अम्ह अदिण्णं गिण्हित्तए अदिण्णंद सातिजित्तए, तं मा णं अम्हे इयाणिं आवइकालंपि अदिपणं गिण्हामो अदिण्णं सादिजामो मा || अम्हं तवलोवे भविस्सइ, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया! तिदंडयं कुंडियाओ य कंचणियाओ। |य करोडियाओ य भिसियाओ य छपणालए य अंकुसए य केसरीयाओ य पवित्तए य गणेत्तियाओ य छत्तए य वाहणाओ य पाउयाओ य धाउरत्ताओ य एगते एडित्ता गंगं महाणई ओगाहित्ता वालुअ-2 |संधारए संथरित्ता संलेहणाझोसियाणं भत्तपाणपडियाइक्खियाणं पाओवगयाणं कालं अणवखमा-15 णाणं विहरित्तएत्तिकट्ठ अण्णमण्णस्स अंतिए एअमठं पडिसुणंति, अण्णमण्णस्स अंतिए० पडिसुणित्ता तिर्दडए य जाव एगते एडेइ २ गंगं महाणई ओगाहेतिरत्ता वेलुआसंधारए संथरंति वालुयासंथारयं दुरुहिंति, वारत्ता पुरत्याभिमुहा संपलियंकनिसन्ना करयलजावकटु एवं वयासी-मोऽत्थु णं अरहंताणं जाव संपदत्ताणं, नमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स, नमोऽत्थुणं अम्मडस्स परिव्वाय गस्स अम्हं धम्मायरियस्स धम्मोबदेसगस्स, पुर्वि णं अम्हे अम्मडस्स परिव्वायगस्स अंतिए थूलगपाणाइ अनुक्रम [४९] ॥९४॥ अंबड-परिव्राजकस्य कथा ~191~
SR No.004112
Book TitleAagam 12 AUPAPAATIK Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages244
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size53 MB
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