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________________ आगम (१०) “प्रश्नव्याकरणदशा” - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१], -----------------------अध्ययन [३] ---------------------- मूल [११] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१०], अंग सूत्र - [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत [११] उकडवरमजडतिरीडकुंडलोडुदामाडोविया पागडपडागउसियज्झयवेजयंतिचामरचलंतछधिकारगम्भीरे हयहेसियहस्थिगुलुगुलाइयरहघणघणाइयपाइकहरहराइयअफाडियसीहनाया छेलियविघुहुकुहकंठगयसद्दभीमगजिए सयराहहसतरुसंतकलकलरवे आसूणियवयणरुद्दे भीमदसणाधरोहगाढदढे सप्पहारणुज्जयकरे अमरिसवसतिब्बरत्तनिदारितच्छे वेरदिटिकुद्धचिट्ठियतिवलीकुडिलभिउडिकयनिवाडे वहपरिणयनरसहस्सविकमवियंभियबले वगंततुरगरहपहावियसमरभडा आवडियोयलाधवपहारसाधिता समूसपियवाहुजुयलं मु: कट्टहासपुकंतवोलबहुले फलफलगावरणगहियगयबरपत्धितदरियभडखलपरोप्परपलग्गजुद्धगचितविउसितपरासिरोसतुरियअभिमुहपहरितछिन्नकरिकरविभंगितकरे अवइनिसुद्धभिन्नकालियपगलियरुहिरकतभूमिकदमचिमिचिलपहे कुच्छिदालियगलितरुलिंतनिभेलंतंतफरुरंतऽविगलमम्मायविकयगाढदिनपहारमुञ्छितरुलंतवेंभलविलावकलुणे हयजोहभमंततुरगउद्दाममत्तकुंजरपरिसंकितजणनिब्बुकच्छिन्नधयभग्गरहवरनसिरकरिकलेवराकिन्नपतितपहरणविकिनाभरणभूमिभागे नचंतकबंधपउरभयंकरवायसपरिलेंतगिद्धमंडलभमंतच्छायंधकारगंभीरे वसुवमुहविकंपितब्ध पच्चक्खपिउवणं परमरुद्दबीहणगं दुष्पवेसतरगं अभिवयंति संगामसंकडं परधणं महंता अबरे पाइक्कचोरसंघा सेणावतिचोरवंदपागड्डिका य अडवीदेसदुग्गवासी कालहरितरतपीतसुकिल्लअणेगसयचिंधपट्टबद्धा परविसए अभिहणति लुद्धा धणस्स कजे रयणागरसागरं उम्मीसहस्समालाउलाकुलवितोयपोतकलकलेंतकलियं पायालसहस्सवायवसवेगसलिल उद्धम्ममाणदगरयरयंधकार वर दीप अनुक्रम [१५]] a urary.com ~92~
SR No.004110
Book TitleAagam 10 PRASHNA VYAKARANAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages335
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size76 MB
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