SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (१०) “प्रश्नव्याकरणदशा” - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्तिः ) श्रुतस्कन्ध: [१], ------------------------ अध्ययनं [३] ------------------------ मूलं [११] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१०], अंग सूत्र - [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रमव्याकर०श्रीअभयदेव० प्रत अधर्मद्वारे अदसादानकारका सू०११ वृत्तिः ॥४४॥ [११]] बझा उद्दोहकगामघायपुरषायगपंथघायगभालीवगतित्थभेया लहुहस्थसंपउत्ता जइकरा खंडरक्खत्थीचोरपुरिसचोरसंधिच्छेया य गंथिभेदगपरधणहरणलोमावहारअक्खेवी हडकारका निम्मद्दगगूढचोरकगोचोरगअस्सचोरगदासिचोरा य एकचोरा ओकहकसंपदायकउच्छिपकसस्थधायकविलचोरी(कोली)कारका य निग्गाहविप्पलुंपगा बहुविहतेणिकहरणबुद्धी, एते अन्ने य एवमादी परस्स दवा हि जे अविरया। विपुलबलपरिग्गहा य बहवे रायाणो परधर्णमि गिद्धा सए व दवे असंतुट्ठा परविसए अहिहणंति ते लुद्धा परधणस्स कजे चउरंगविभत्तबलसमग्गा निच्छियवरजोहजुद्धसद्धियअहमहमितिदप्पिएहि सेन्नेहिं संपरिचुडा पउमसगडसूइचकसागरगरुलचूहातिएहिं अणिएहिं उत्थरंता अभिभूय हरंति परणाई अवरे रणसीसलद्धलक्खा संगाममि अतिवयंति सन्नद्धबद्धपरियरखप्पीलियचिंधपट्टगहियाउहपहरणा माडिवरवम्मगुंडिया आविद्धजालिका कवयकंकडइया उरसिरमुहबद्धकंठतोणमाइतवरफलहरचितपहकरसरहसखरचावकरकरंछियसुनिसितसरवरिसचडकरकमुयंतषणचंडवेगधारानिवायमग्गे अणेगधणुमंडलम्गसंधिताउछलियसत्तिकणगवामकरगहियखेडगनिम्मलनिकिट्ठखग्गपहरंतकोंततोमरचक्कगयापरसुमुसललंगलसूललउलभिंडमालासम्बलपट्टिसचम्मेद्वदुषणमोडियमोग्गरवरफलिहजतपत्थरदुहणतोणकुवेणीपीढकलियईलीपहरणमिलिमिलिमिलतसिप्पंतविजुजलविरचितसमप्पाहणभतले फुडपहरणे महारणसंखभेरिवरसूरपउरपडुपहडायणिणायगंभीरणंदितपक्खुभियविपुलघोसे हयगयरहजोहतुरितपसरितउद्धततमंधकारबहुले कातरनरणयणहिययवाउलकरे विल्लुलिय दीप अनुक्रम [१५]] ॥४४॥ SAREautatin international ~91
SR No.004110
Book TitleAagam 10 PRASHNA VYAKARANAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages335
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size76 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy