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________________ आगम (१०) “प्रश्नव्याकरणदशा” - अंगसूत्र-१० (मूलं+वृत्ति:) श्रुतस्कन्ध: [१], --------- ------------- अध्ययनं [२] -------- ---------- मूलं [८] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१०], अंग सूत्र - [१०] "प्रश्नव्याकरणदशा" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: २ अधर्म द्वारे प्रश्नब्याक र.श्रीअभयदेव. प्रत वृत्तिः मृषावादविपाक: सु०८ ॥४०॥ ८ तस्स य अलियरस फलविवागं अयाणमाणा वढेति महयभयं अविस्सामधेयणं दीहकालं बहुदुक्खसंकर्ड नरयतिरियजोणिं तेण य अलिएण समणुबद्धा आइद्धा पुणभवंधकारे भमंति भीमे दुग्गतिवसहिमुवगया, ते य दीसंतिह दुग्गया दुरंता परवत्सा अत्यभोगपरिवज्जिया असुहिता फुडियच्छवित्रीभच्छविवन्ना खरफरसविरत्तशामझुसिरा निच्छाया लल्लविफलवाया असकतमसक्कया अगंधा अचेयणा दुभगा अर्कता काकस्सरा हीणभिन्नघोसा विहिंसा जडबहिरन्धया य मम्मणा अकंतविकयकरणा णीया णीयजणनिसेविणो लोगगरहणिज्जा भिच्चा असरिसजणस्स पेस्सा दुम्मेहा लोकवेदअज्झप्पसमयसुतिबज्जिया नरा धम्मबुद्धिवियला अलिएण य तेणं पडझमाणा असंतएण य अवमाणणपट्ठिमंसाहिक्खेवपिसुणभेयणगुरुबंधवसयण मित्तवक्खारणादियाई अब्भक्खाणाई बहुविहाई पावेंति अमणोरमाई हिययमणदमकाई जावजीवं दुरुद्धराई अणिहखरफरुसवयणतजणनिभच्छणदीणवदणविमणा कुभोयणा कुवाससा कुवसहीसु किलिस्संता नेव सुहं नेव निव्वुई उपलभंति अच्चंतविपुलदुक्खसयसंपलित्ता । एसो सो अलियवयणस्स फलविवाओ इहलोइओ परलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महन्भओ बहुरयप्पगाढो दारुणो कक्कसो असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चइ, न य अवेदयित्ता अस्थि हु मोक्खोत्ति, एवमासु नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ धीरवरनामधेजो कहेसी य अलियवयणस्स फलविवागं एयं तं वितीयपि अलियवयणं लहसगलहचवलभणियं भयंकर दुहकर अयसकर वेरकरगं अरतिरतिरागदोसमणसंकिलेसविरयणं अलियणियडिसादिजोगबहुलं नी दीप अनुक्रम [१२]] 2045644660904 ॥४०॥ Santainmna aurainrary.org ~83~
SR No.004110
Book TitleAagam 10 PRASHNA VYAKARANAM Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages335
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size76 MB
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