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________________ आगम (०५) प्रत सूत्रांक [३८३] दीप अनुक्रम [४६३] “भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [९], वर्ग [−], अंतर् शतक [-], उद्देशक [३३], मूलं [३८३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्तिः | जित्था किन्नं अज्ज खत्तिय कुंडग्गामे नगरे इंदमहेइ वा खंदमहेइ वा मुगुंदमहेइ वा णागमहेइ वा जक्खमहेह वा भूयमहेइ वा कूवमहेइ वा तडागमद्देह वा नईमहेइ वा दहमहेइ वा पछयमहेइ वा रुक्खमहेइ वा चेइयमहेइ वा थूभमहेइ वा जपणं एए बहवे जग्गा भोगा राहन्ना इक्खागा णाया कोरवा खत्तिया खत्तियपुत्ता भडा भडपुत्ता जहा उचबाइए जाव सत्थवाहप्पभिइए व्हाया कयबलिकम्मा जहा उबवाइए जान निग्ाच्छं॥४६१॥ ७ ति ?, एवं संपेहेइ एवं संपेहित्ता कंचुइज्जपुरिसं सदावेति कंचु० २ एवं वयासी किण्हं देवाणुप्पिया ! अन स्वन्तियकुंङग्गामे नगरे इंदमइ वा जाव निग्गच्छति ?, तर णं से कंचुइज्जपुरिसे जमालिणा खत्तियकुमारणं एवं वृत्ते समाणे हडतुडे समणस्स भगवओ महावीरस्स आगमणगहियविणिच्छए करयल० जमालि वत्तियकुमारं जएणं विजएर्ण वडावेह बढावेत्ता एवं वयासी-गो खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज खत्तियकुंडग्गा नपरे इंदमहेइ वा जाव निग्गच्छइ, एवं खलु देवाणुप्पिया ! अयं समणे भगवं महावीरे जाव सघन सङ्घदरिसी माहणकुंडगामस्स नयररस बहिया बहुसालए चेइए अहापडिरूवं उग्गहं जाव विहरति, तए णं | एए बहवे उग्गा भोगा जाव अप्पेगइया बंदणवत्तियं जाव निग्गच्छति । तए णं से जमालियखत्तियकुमारे कंज्जपुरिसस्स अंतिए एयमहं सोचा निसम्म हट्ट० कोटुंबियपुरिसे सहावेइ कोबियपुरिसे सहावइत्ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उववेह उबवेत्ता मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वृत्ता समाणा जाव पञ्चप्पिणंति, व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः २ जमाली चरित्रं For Parts Only ~927~ ९ शतके उद्देशः २३ जमालिमतिबोधः सू २८३ ॥४६१॥ www.brary.org
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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