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आगम
(०५)
"भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:)
शतक [१], वर्ग [-], अंतर्-शतक -1, उद्देशक [३२], मूलं [३७३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
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प्रत सूत्रांक [३७३]
| उक्कोसेणं भंते ! नेरइया नेरतियपवेसएणं पुच्छा, गंगेया ! सबेवि ताव रयणप्पमाए होजा अहवा रयणप्पभाए य सकरप्पभाए य होजा अवा रयणप्पभाए य वालुयप्पभाए य होजा जाव अहवा रयणप्पभाए य अहेसत्तमाए होजा अहया रयणप्पभाए य सकरप्पभाए य वालुयप्पभाए य होजा एवं जाव अहवा रयण सकरप्पभाए प अहेसत्तमाए य होज्जा ५ अहवा रयण बालुय० पंकप्पभाए य होजा जाव अहवा रयण वालुय० अहेसत्तमाए होना ४ अहवा रयण पंकप्पभाए धूमाए होजा एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा तिण्हं तियासंजोगो भणिओ तहा भाणियपंजाब अहवा रयण तमाए य अहेसत्तमाए प होना |१५ अहवा रयणप्पभाए सकरप्पभाए वालुय० पंकप्पभाए य होजा अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुय. धूमप्पभाए य होला जाव अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुय. अहेसत्तमाए य होजा ४ अहवा रयण सकर पंक० धूमप्पभाए य होजा एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा चउण्हं चउकसंजोगो तहा भाणियवं जाव अहवा रयण धूम तमाए अहेसत्तमाए होजा अहवा रयण सक्कर वालुय० पंक. धूमप्पभाए य होजा १ अहवा रयणप्पभाए जाव पंक० तमाए य होजा २ अहवा रयण जाव पंक. अहेसत्तमाए य होजार Pil अहवा रयण सकर वालुय० धूम तमाए य होजा ४ एवं रयणप्प अमुयंतेसु जहा पंचण्डं पञ्चकसंसाजोगो तहाभाणिय, जाव अहवा रयण पंकप्पभाजाव अहेसत्तमाए होजा अहवा रयणसकर जाव धूम
प्पभाए तमाए य होज्जा १ अहवा रयण जाव धूम० अहेसत्तमाए य होजा २ अहवा रयण सकर जाव
दीप अनुक्रम [४५३]
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पार्वापत्य गांगेय-अनगारस्य प्रश्ना:
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