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________________ आगम (०५) "भगवती'- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२], वर्ग -1, अंतर्-शतक [-], उद्देशक [१], मूलं [९१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [९१] दीप अनुक्रम [११२] नास्थि पुण से अंते, भावओणं जीवे अर्णता णाणपज्जवा अर्णता दंसणप० अणंता चरित्तप० अर्णता अगुरुलहुयप नत्थि पुण से अंते, सेत्तं दवओ जीवे सअंते खेत्तओ जीवे सअंते कालओ जीवे अणते भावओ जीवे अणते । जेवि य ते खंदया पुच्छा [इमेयारूवे चिंतिए जाव सअंता सिद्धी अणंता सिद्धी, तस्सवि यणं अयमढे खंदया!-मए एवं खलु चउविवहा सिद्धी पण्ण, तं०-दब्बओ४, दव्वओ णं एगा सिद्धी] ४ खेत्तओणं. सिद्धी पणयालीसं जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं च* जोयणसयसहस्साई तीसं च जोयणसहस्साई दोन्नि य अउणापन्नजोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खे-15 वेणं अस्थि पुण से अंते, कालओ णं सिही न कयाचि न आसि, भावओ य जहालोयस्स तहा भाणियव्वा, तस्थ व्बओ सिद्धी सअंता खे० सिही सअंता का सिद्धी अर्णता भावओ सिद्धी अणंता । जेवि य ते खंदया ! जाव किं अगते सिहे तं चेव जाव दवओ णं एगे सिद्धे सते, खे० सिद्धे असंखेजपएसिए असंखेजपदेसोगाढे, अत्थि पुण से अंते, कालओ णं सिढे सादीए अपज्जवसिए नत्थि पुण से अंते, भा० सिझे अर्णता णाणपज्जवा अणंता दूसणपज्जवा जाव अर्णता अगुरुलहुयप नस्थि पुण से अंते, सेत्तं व्व|ओ सिद्धे सभंते खेत्तओ सिद्धे सअंते का सिद्धे अणते भा० सिद्धे अणते । जेविय ते खंदया ! इमेयारवे 5 *अन्भथिए चिंतिए जाव समुप्पज्जित्था-केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वहति वा हायति वा १. तस्सवि याद पण अयमढे एवं खलु खंदया!-मए दुविहे मरणे पण्णत्ते, तंजहा-बालमरणे य पंडियमरणे य, से किं तं बाल स्कंदक (खंधक) चरित्र ~240~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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