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आगम
(०५)
"भगवती'- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:)
शतक [३०], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-1, उद्देशक [१], मूलं [८२५] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [८२५]]
है सलेस्सा, नवरं अकिरियावादी अन्नाणियवादी वेणइयवादी यणो नेरइयाउयं पकरेइ देवाउयंपि पकरेइ तिरि
क्खजोणियाउयपि पकरे। मणुस्साउयपि पकरेइ, एवं पम्हलेस्सावि०, एवं सुक्कलेस्सावि भाणियबा, कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउविहंपि आउयं पकरेइ, सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा, सम्मदिही जहा मणप-5
जवनाणी तहेव वेमाणियाउयं पकरेइ, मिच्छदिट्टी जहा कण्हपक्खिया, सम्मामिच्छादिही ण य एकंपिपकरेइ | जहेच नेरइया, णाणी जाव ओहिनाणी जहा सम्मद्दिडी, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया, सेसा जाव अणागारोवउत्ता सबे जहा सलेस्सा तहा चेव भाणियचा, जहा पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तवया भणिया एवं मणुस्साणवि भाणियबा, नवरं मणपज्जवनाणी नोसन्नोवउत्ता य जहा सम्मट्ठिी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियचा, अलेस्सा केवलनाणी अवेद्गा अकसायी अयोगी य एए न एगंपि आउयं । |पकरेइ जहा ओहिया जीवा सेसं तहेव, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥ किरियावादी णं भंते! जीवा किं भवसिद्धीया अभवसिद्धीया?, गोयमा! भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया । अकिरियावादी णं भंते! जीवा किं भवसिद्धीया पुच्छा, गोयमा भवसिद्धीयावि अभवसिद्धीयावि, एवं अन्नाणियवादीवि,
वेणइयवादीवि | सलेस्सा णं भंते! जीवा किरियावादी किं भव. पुच्छा, गोयमा! भवसिद्धीया नो अभ-19 दिवसिद्धीया। सलेस्सा गंभंते जीवा अकिरियावादी किं भव० पुच्छा,गोयमा ! भवसिद्धीयावि अभवसिद्धी-15
यावि, एवं अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि जहा सलेस्सा, एवं जाव सुकलेस्सा, अलेस्सा णं भंते जीवा किरि
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दीप
अनुक्रम [९९९]
समवसरण, तस्य क्रियावादि आदि चत्वारः भेदा: एवं प्रत्येक-भेदस्य वक्तव्यता
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