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________________ आगम (०५) "भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२५], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [६], मूलं [७५१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [७५१] गाथा: मसमयनियंठे अहामुष्ठमनियंठे णामं पंचमे । सिणाए णं भंते ! कतिविहे प०१, गो. पंचविहे प० तं०- दि अच्छवी १ असवले २ अकम्मसे ३ संसुद्धनाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली ४ अपरिस्साची ५३१पुलाए णं भंते। किं सवेयए होजा अवेदए होज्जा ?, गोयमा! सवेयए होला णो अवेयए होजा, जइ सवेपए होजा किं इस्थिवेदए होजा पुरिसवेयए पुरिसनपुंसगवेदए होजा, गोयमा! नो इस्थिवेदए होजा पुरिसवेयए होज्जा पुरिसनपुंसगवेयए वा होजा। बउसे गंभंते !किं सवेदए होजा अवेदए होजा, गोयमा! सवेदए होजा णो अवेदए होजा, जइ सवेदए होजा किं इधिवेयए होजा पुरिसवेयए होना पुरिसनपुंसगवेदए होजा, 5 गोयमा! इत्थिवेयए वा होजा पुरिसवेयए वा होजा पुरिसनपुंसगवेयए वा होजा, एवं पडिसेवणाकुसीलेवि.. कसायकुसीले णं भंते ! किं सवेदए ? पुच्छा, गोयमा ! सवेदए वा हो. अवेदए वा हो, जड अवेवए किं है *उवसंतवेदए खीणवेदए हो०१, गोयमा । उवसंतवेदए वा खीणवेदए वा हो०, जइ सवेयए होजा किं इस्थि-15 ॐ वेदए पुच्छा, गोयमा ! तिमुवि जहा घउसो।णियंठे णं भंते किं सवेदए पुच्छा, गोषमा! णो सवेयए होजा दि अवेयए हो, जइ अवेयए होकि उवसंत पुच्छा, गोयमा ! उवसंतवेयए वा होइ खीणवेयए वा होजा सिणाए णं भंते । किं सवेयए होजा?, जहा नियंठे तहा सिणाएवि, नवरं णो उवसंतवेयए होजा खीणवेयए| होजा २॥ (सूत्रं ७५१) 'पण्णवणे त्यादि, एताः पुनरुद्देशकार्थावगमगम्या इति, तत्र 'पन्नवण'तिद्वाराभिधानायाह-रायगिहे 'त्यादि, 'कति दीप अनुक्रम [८९८-- -९०१] airmanasurary.org निर्ग्रन्थः, तस्य स्वरुपम्, भेदा: इत्यादि विविध-विषय-वक्तव्यता ~ 1785~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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