________________
आगम
(०५)
"भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं वृत्ति:)
शतक [२५], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [४], मूलं [७४१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [७४१]
LOCALCAKACANCERDCREASE
दीप
जहा किल पंच ते सबलोगपएसा, एते य पत्तेयचिंताए पंचेव, संजोगओ पुण एतेसु चेव अणेगे संजोगा लम्भंति' इमा एएसिं ठवणा- एतेषां च सम्पूर्णासम्पूर्णान्यग्रहणान्यमोक्षणद्वारेणाऽऽधेयवशादनेके संयोगभेदा भावनीयाः, तथा 'असंखेजपए- सोगाढा पोग्गला दवट्टयाए असंखेजगुण'त्ति भावनैवमेव असायप्रदेशात्मकत्वादवगाहक्षेटू त्रस्यासोयगुणा इत्ययमस्य भावार्थ इति ।। पुद्गलानेव कृतयुग्मादिभिर्निरूपयन्नाह| परमाणुपोग्गलेणं भंते ! दवयाए किं कडजुम्मे तेयोए दावर कलियोगे?, गोयमा! नो कडजुम्मे नो तेयोएनो दावर कलियोगे एवं जाव अणंतपएसिए खंघे । परमाणुपोग्गला णं भंते ! दबयाए किं कडजुम्मा | पुच्छा, गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाब सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा नो तेयो| गा नो दावर कलियोगा एवं जाव अणंतपएसिया खंधा। परमाणुपोग्गले णं भंते ! पएसट्टयाए कि कडजुम्मे | पुरुछा, गोपमा !नो कडजुम्मा नो तेयोगा नो दावर० कलियोगे दुपएसिए पुच्छा गोपमा! नो कल० नो तेयो
य० दावर नो कलियोगे, तिपए. पुच्छा गोयमा! नो कडजुम्मे तेयोए नो दावर० नो कलियोए चउप्पएसिए Zil पुच्छा गोयमा ! कडजुम्मे नो तेओए नो दावर नो कलियोगे पंचपएसिए जहा परमाणुपोग्गले छप्पएसिए
जहा दुप्पएसिए सत्तपएसिए जहा तिपएसिए अपएसिए जहा चउपएसिए नवपएसिए जहा परमाणुपोग्गले दसपएसिए जहा दुप्पएसिए, संखेजपएसिए णं भंते ! पोग्गले पुच्छा, गोयमा! सिय कहजुम्मे
GARIKARAN
अनुक्रम [८८८]
~ 1765~