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________________ आगम (०५) "भगवती”- अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२५], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [४], मूलं [७३८-७३९] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [०५], अंग सूत्र - [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [७३८ -७३९] लिकागत्योत्पत्तिक्षेत्रं स्पृशन्तीति देशैजाः स्वक्षेत्रावस्थिता वा हस्तादिदेशानामेजनादिति ॥ उक्ता जीववक्तव्यता अथाजीववकव्यतामाहहै। परमाणुपोग्गला गंभंते ! किं संखेजा असंखेज्जा अणता, गोयमा नो संखेजा नो असंखेज्जा अर्णता; एवं जाव अर्णतपएसिया खंधा । एगपएसोगाढा णं भंते! पोग्गला किं संखेज़ा असंखेजा अर्णता, एवं चेव, एवं जाव असंखेजपएसोगाढा। एगसमयठितीया णं भंते ! पोग्गला किं संखेज्जा , एवं चेव, एवं जाव असंखेजसमयद्वितीया । एगगुणकालगा गं भंते ! पोग्गला किं संखेजा, एवं चेव, एवं जाव अणंतगुणकालगा, एवं अवसेसावि वण्णगंधरसफासा णेयवा जाव अर्णतगुणलुक्खत्ति । एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं दुपएसियाण य खंधाणं यट्ठयाए कयरे रहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा वि०१, गोयमा ! दुपएसिएहिंतो खंधेहिंतो परमाणुपोग्गला दबट्टयाए पहुगा, एएसिणं भंते! दुपए| सियाणं तिप्पएसाण य खंधाणं दबयाए कयरेशहितो बहुया०१, गोयमा! तिपएसियखंधेहितो दुपएसिया खंधा दवट्टयाए बहुया, एवं एएणं गमएणं जाव दसपएसिएहिंतो खंधेहितो नवपएसिया खंधा दषट्ट याए वहुया । एएसि णं भंते दसपएसिए पुच्छा, गोषमा। दसपएसिएहिंतो खंघेहितो संखेजपएसिया खंधा दिवढ्याए बहुया, एएसिणं भंते संखेन्ज पुच्छा, गोयमा! संखजपएसिएहिंतो खंधेहितो असंखेजपएसिया खंधा दबट्ठयाए बहुया, एएसि णं भंते ! असंखेज. पुच्छा, गो०!, अणंतपएसिएहितो खंधेहितो असंखेजप MICROC दीप अनुक्रम [८८५-८८६] ~ 1759~
SR No.004105
Book TitleAagam 05 BHAGVATI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1967
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size424 MB
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